महाराष्ट्र, 5 मई
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय आरक्षण का कोटा रद्द कर दिया है। इसके साथ ही आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के मंडल फैसले को वृहद पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया है। साथ ही अदालत ने सरकारी नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मराठा समुदाय किसी भी प्रकार से पिछड़े नहीं हैं, इसीलिए उन्हें अब आरक्षण की जरूरत नहीं है। पांच जजो की बेंच ने अलग अलग फैसलों में मराठा आरक्षण की बात नहीं की। कोर्ट ने कहा कि आरक्षण पिछड़े वर्ग को दिया जाना चाहिए और मराठा इस श्रेणी में नहीं आते।
संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई 15 मार्च को शुरू की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने जून 2019 में कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 फीसदी आरक्षण उचित नहीं है और रोजगार में आरक्षण 12 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए और नामांकन में यह 13 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट ने राज्य में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था।