जिंदगी की आखिरी सांसे गिन रहे पिता से मनोज बाजपेयी ने कही थी ये बात,

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मनोज बाजपेयी

नई दिल्‍ली, 15 मई (The News Air) नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आने वाले मनोज बाजपेयी के लिए फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमाना इतना आसान नहीं था। उन्होंने फिल्मी दुनिया में नाम कमाने के लिए काफी स्ट्रगल किए। हा ही में मनोज ने सिद्धार्थ कनन को दिए इंटरव्यू में अपने संघर्ष के दिनों पर बात की और कई इमोशनल करने वाले पलों का भी साझा किया।

मनोज बाजपेयी ने बताया कि उनमें एक्टिंग का ऐसा कीड़ा था कि 12वीं के बाद वह सीधे एनएसडी में ही एडमिशन लेने आ गए। वो तीन बार यहां से रिजेक्ट किए गए थे। चौथी बार में सिलेक्शन हुआ। लेकिन इस रिजेक्शन और सिलेक्शन के फेर में उन्होंने खुद को एक्टिंग में बहुत स्किल्ड बना लिया था। एक्टर ने बताया कि जब उन्हें बार-बार रिजेक्शन ही मिल रहा था, तब वह डिप्रेशन में आ गए थे।

घर परिवार से दूर रहने के बाद मुंबई में दोस्त ही उनका सहारा था। दोस्तों ने ही डिप्रेशन में उनका ख्याल रखा था। ये सब इतना ज्यादा था कि उन्हें सुसाइड करने का भी ख्याल आया। उनके पास पिता की तरफ से जो पैसे आते थे, वो भी खर्च हो जाते थे और उनके पास कुछ नहीं बचता था।

मनोज बाजपेयी ने कहा कि वह रिजेक्शन के कारण अपने गांव नहीं जा पा रहे थे कि क्या मुंह जाकर दिखाएंगे। तभी उनकी बहन का फोन आया और बताया गया कि पिता अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर हैं और डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया है, लेकिन अभी भी मोह माया के जाल में इनकी आत्मा फंसी हुई है। सिर्फ आपके साथ ही ऐसा संबंध रहा है। आप कहेंगे, तो शरीर छोड़ देंगे।

एक्टर ने कहा, ”मैं किलर सूप का शॉट देने के लिए जा रहा हूं। मेरा स्पॉट ब्वॉय भी वहां मौजूद है और मैं अपने पिता से फोन पर कह रहा हूं कि आप जाइये, बाबूजी हो गया, प्लीज आप जाइये…और वो पल मेरा दिल तोड़ने वाला था। ये सुनकर मेरा स्पॉट ब्वॉय रोने लगा था। असिस्टेंट डायरेक्टर्स बाहर खड़े हैं। उन्हें इस बारे में नहीं पता है और यहां मैं अपने पिता को शरीर छोड़ने के लिए कह रहा हूं। वो मेरे लिए बहुत कठिन था, लेकिन मैंने किया। सिर्फ मुझे देखने लिए उनकी आत्मा शरीर में रुकी हुई थी।” अगले दिन उन्हें पिता के निधन की खबर मिली। ये सुनकर मनोज बाजपेयी बहुत रोए थे।

मनोज बाजपेयी ने ये भी बताया कि उनकी मां की डेथ पिता की मौत के छह महीने के अंदर हुई थी। उन्हें कैंसर हो गया था। ठीक न हो पाने के कारण वह डॉक्टर से ये तक कहा करती थीं कि मुझे कुछ दो, जिससे कि मैं मर सकूं। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ, लेकिन वह हमें छोड़ कर चली गईं।

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