नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने जातीय प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले आईपीएस अफसर वाई. पूरन कुमार को श्रद्धांजलि दी और पीड़ित परिवार से मिलकर उनका दुख साझा किया। उन्होंने कहा कि एक पढ़े-लिखे, सक्षम परिवार का बेटा सिर्फ़ दलित होने की वजह से इतना प्रताड़ित किया गया कि उसे अपनी जान तक लेनी पड़ी। सोचिए, अगर एक दलित आईपीएस अधिकारी के साथ ऐसा हो सकता है और, अगर देश के चीफ़ जस्टिस तक को दलित होने के कारण अपमानित किया जा सकता है तो एक आम दलित नागरिक के साथ ये लोग क्या-क्या करते है? ऐसे नेतृत्व पर शर्म आती है, जो इस घिनौनी सोच को बढ़ावा दे रहा है और अपराधियों पर कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पा रहा। सत्ता में बैठे लोग देश को फिर से जाति, ऊंच-नीच और अपमान के अंधे दौर में धकेल रहे हैं और ये हर उस इंसान के लिए चेतावनी है जो अभी भी चुप है।
शनिवार को आईपीएस पूरन कुमार को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस घटना से पूरा देश स्तब्ध है। यह गर्व की बात है कि हमारे सिस्टम में पूरन कुमार जैसे आईपीएस अधिकारी थे, जिनका दिल- दिमाग जनता के लिए काम करता था। लेकिन उनकी आत्महत्या के बाद सदमे आए उनके परिवार की तकलीफ को बयां करना बहुत मुश्किल है। स्वर्गीय पूरन कुमार की पत्नी भी अफसर है, उनका पूरा परिवार शिक्षित है। इस परिवार ने अपने एकमात्र सहारे पूरन कुमार को खो दिया। सभी सदमे में हैं। जिस तरह से उनके शव को जगह-जगह शिफ्ट किया गया और पुलिस का व्यवहार रहा है, वह बहुत की संदेह जनक है। ऐसा लगता है कि कुछ छिपाने और दबाने की कोशिश की जा रही है। इसके बावजूद परिवार अभी भी सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए है। परिवार को भरोसा भी है कि सिस्टम उनके साथ न्याय करेगा।
मनीष सिसोदिया ने जातीय उत्पीड़न को लेकर कहा कि आज आज पूरे देश में दलितों के उत्पीड़न का माहौल बना हुआ है। बड़ी मेहनत से पढ़ लिख कर एक व्यक्ति अपनी प्रतिभा के दम पर आईपीएस बनता है, टॉप पोजिशन हासिल करता है, उसका उत्पीड़न किया जा रहा है। क्योंकि वह दलित समाज से है। कोई व्यक्ति देश के सर्वोच्च सम्मानित मुख्य न्यायाधीश के पद पर पहुंच जाता है तो उनको भी प्रताड़ित किया जा रहा है। आखिर हम कैसा भारत बना रहे हैं। एक तरफ 21वीं सदी में पूरी दुनिया एआई के युग में जी रही है। सोचने समझने के लिए एआई और टेक्नोलॉजी को आगे ला रही है और दूसरी तरफ हम इस युग में जी रहे हैं जहां दलित परिवार से आने की वजह से मुख्य न्यायाधीश के ऊपर जूता फेंका जाता है। हमारे देश के एक आईपीएस को इतना प्रताड़ित किया जाता है, क्योंकि वह एक दलित परिवार से आता है। कुछ लोगों को लगता है कि दलित परिवार से होने के बावजूद इतना आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत कैसे हो गई? हम लोग कैसा देश बनाना चाहते हैं और क्यों ऐसी घटनाओं के खिलाफ सामूहिक एक्शन नहीं ले रहे हैं।
मनीष सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार द्वारा मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों पर दर्ज की गई एफआईआर के बारे में बताते हुए कहा कि दो दिन पहले चीफ जस्टिस के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने की शिकायत आई और पंजाब सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। पंजाब की तरह पूरे देश में कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? सिर्फ राजनीति से काम नहीं चलेगा, बल्कि पढ़ें लिखे और पावर में बैठे लोगों को एक्शन लेना पड़ेगा। आज यह परिवार पढ़ें लिखे, सत्ता व राजनीति में बैठे लोगों से न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है। अगर हम चाहते हैं कि आगे कोई व्यक्ति न्यायपालिका या नौकरशाही की टॉप पोजिशन पर पहुंचे तो हमें जातिवाद की राजनीति और ऐसी मानसिकता को हराना पड़ेगा। आम आदमी पार्टी हर उस परिवार के साथ है, जिसे दलित होने के कारण प्रताड़ित किया जाता है। देश का हर संवेदनशील व्यक्ति हर उस परिवार के साथ हैं, जिसे सरकारी दफ्तरों में दलित होने के नाते प्रताड़ित किया जाता है।






