Mamata Banerjee SIR Protest : देश के 12 राज्यों में 4 नवंबर से मतदाता सूची का ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) शुरू हो गया है, लेकिन इसे लेकर सबसे ज्यादा बवाल पश्चिम बंगाल में ही मचा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR को ‘लोकतंत्र पर सर्जिकल स्ट्राइक’ बताते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लेकिन, अब ममता बनर्जी इस टकराव से पीछे हटती दिख रही हैं।
विरोध से ‘सहयोग’ तक का यू-टर्न
जब चुनाव आयोग ने SIR की घोषणा की, तो ममता ने TMC कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) का विरोध करने का आदेश दिया। उन्होंने आशंका जताई कि बंगाल में, खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों से एक करोड़ से ज्यादा वोटरों के नाम काटे जा सकते हैं। लेकिन, सिर्फ एक हफ्ते बाद ही ममता ने अचानक गियर बदल लिया। अब TMC को निर्देश दिया गया है कि BLO के साथ सहयोग करें, नए वोटर जोड़ें और गलत कटौती पर आपत्ति दर्ज करें। सवाल है कि यह यू-टर्न क्यों?
क्या राष्ट्रपति शासन लगने का डर है?
इस यू-टर्न के पीछे राष्ट्रपति शासन का डर एक बड़ी वजह हो सकती है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि ‘ममता की अराजकता बंगाल में अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) लागू करने का आधार बन रही है।’ ममता जानती हैं कि यदि उन्होंने SIR जैसी संवैधानिक प्रक्रिया को रोका, तो केंद्र सरकार इसे संवैधानिक संस्था की अवमानना बताकर 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का भी डर
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट, बिहार में SIR रोकने की RJD की याचिका पहले ही खारिज कर चुका है। कोर्ट ने साफ कहा था कि चुनाव आयोग की स्वायत्तता में दखल नहीं दिया जा सकता। ममता के कानूनी सलाहकारों ने उन्हें चेताया कि SIR का विरोध मुख्यमंत्री पद पर बैठकर कानूनी ढंग से नहीं किया जा सकता। इसलिए, उन्होंने अपनी विरोध की राजनीति को ‘नियंत्रित सहयोग’ में बदल दिया।
मुस्लिम वोटबैंक बचाने की रणनीति
बंगाल की राजनीति में मुस्लिम वोटों का बड़ा दखल है, जो ममता बनर्जी का एकमुश्त वोटबैंक माना जाता है। बीजेपी लगातार ममता पर ‘घुसपैठियों’ और ‘रोहिंग्या’ को शरण देने का आरोप लगाती रही है।
जब मुसलमानों के बीच NRC का डर फैला, तो ममता ने SIR को NRC से जोड़ दिया। उन्होंने अपने 4 किमी लंबे मार्च में यह कहकर अपने वोटबैंक को ‘सिक्योरिटी गारंटी’ दी कि यदि एक भी आदमी का नाम गलत ढंग से काटा गया, तो वह मोदी सरकार को गिरा देंगी।
SIR पर ‘कॉपीराइट’ चाहती हैं ममता
SIR को लेकर ममता की यह सक्रियता सिर्फ बीजेपी के विरोध के कारण नहीं है। वह इस मुद्दे पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहतीं, ताकि कांग्रेस और लेफ्ट बंगाल में वापस जमीन न पा सकें। राहुल गांधी पहले ही वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के मामले उठा रहे हैं, लेकिन बंगाल में ममता इस मुद्दे का ‘कॉपीराइट’ किसी से शेयर नहीं करना चाहतीं।
मुख्य बातें (Key Points):
- ममता बनर्जी ने SIR का कड़ा विरोध करने के बाद अब ‘सहयोग’ करने का निर्देश दिया है।
- माना जा रहा है कि 2026 चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगने के डर से ममता ने यू-टर्न लिया है।
- ममता ने SIR को NRC से जोड़कर अपने मुस्लिम वोटबैंक को ‘सिक्योरिटी गारंटी’ देने की कोशिश की है।
- बंगाल में SIR के मुद्दे पर ममता, कांग्रेस या लेफ्ट को कोई सियासी जमीन नहीं देना चाहतीं।






