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अखिलेश राज में मिले लाइसेंस, नशा तस्करी पर SIT Report में बड़ा खुलासा

सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट, 2016 में विभोर राणा को मिला था कफ सिरप बनाने का लाइसेंस।

The News Air by The News Air
सोमवार, 22 दिसम्बर 2025
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SIT Report
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Codeine Cough Syrup Smuggling Case : उत्तर प्रदेश में चल रहे नशीली दवाओं के काले कारोबार को लेकर विशेष जांच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कोडीन कफ सिरप (Codeine Cough Syrup) की तस्करी और इसके राजनीतिक कनेक्शन को लेकर ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

कोडीन कफ सिरप (Codeine Cough Syrup) तस्करी मामले की जांच कर रही SIT ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार के सामने रख दी है। इस रिपोर्ट में नशा सिंडिकेट (Syndicate) की परतों को उधेड़ते हुए कई गंभीर दावे किए गए हैं। जांच में सामने आया है कि इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड और ‘किंगपिन’ (Kingpin) विभोर राणा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विभोर राणा को कफ सिरप निर्माण का लाइसेंस साल 2016 में मिला था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये सभी संदिग्ध लाइसेंस तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में जारी किए गए थे, जिससे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होना तय माना जा रहा है।

किंगपिन विभोर राणा और तस्करी का नेटवर्क

SIT की जांच बताती है कि कैसे इस काले कारोबार को एक व्यवस्थित तरीके से चलाया जा रहा था। नेपाल बॉर्डर (Nepal Border) पर मदरसा नेटवर्क पर हुई कार्रवाई के बाद विभोर एंड कंपनी ने अपनी रणनीति बदली और कुछ समय के लिए तस्करी रोक दी थी। लेकिन यह खेल बंद नहीं हुआ। SIT के अनुसार, विभोर राणा अपने कफ सिरप के स्टॉक (Stock) को तस्करी के लिए शुभम जायसवाल नाम के व्यक्ति को डायवर्ट (Divert) कर रहा था। यह एक सोची-समझी साजिश थी ताकि पुलिस की आंखों में धूल झोंकी जा सके।

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वाराणसी के गोदाम से खुला राज

इस नेटवर्क की जड़े कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुभम जायसवाल के सहयोगी मनोज यादव के वाराणसी स्थित गोदाम (Warehouse) में कफ सिरप का एक बड़ा जखीरा बरामद हुआ है। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मेडिकल स्टोर (Medical Store) पर कफ सिरप की बिक्री सीमित संख्या में होती है, लेकिन यहां हजारों-लाखों की संख्या में बोतलों का स्टॉक (Stock) इकट्ठा करना साफ तौर पर ‘इललीगल ट्रेडिंग’ (Illegal Trading) की ओर इशारा करता है। यह स्टॉक आम मरीजों के लिए नहीं, बल्कि नशे के सौदागरों के लिए जमा किया गया था।

प्रतिबंधित देशों में नशे की सप्लाई

मुख्यमंत्री ने भी माना है कि यह मामला अवैध व्यापार (Illegal Trade) का है। इस सिंडिकेट का कनेक्शन अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस दवा की सप्लाई उन देशों में की जा रही थी, जहां नशा करना प्रतिबंधित है या धार्मिक मान्यताओं के कारण लोग शराब का सेवन नहीं कर सकते। ऐसे में वहां के लोग नशे के विकल्प के तौर पर कोडीन (Codeine) का सहारा ले रहे थे। गौरतलब है कि कोडीन युक्त कफ सिरप 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए चिकित्सकीय रूप से प्रतिबंधित (Medically Restricted) है, लेकिन माफिया इसे नशे के रूप में बेच रहे थे।

विश्लेषण: सिस्टम की आड़ में नशे का खेल

एक वरिष्ठ संपादक के तौर पर इस रिपोर्ट का विश्लेषण करें, तो यह साफ दिखता है कि यह केवल एक तस्करी का मामला नहीं है, बल्कि ‘व्हाइट कॉलर क्राइम’ (White Collar Crime) का उदाहरण है। 2016 में लाइसेंस जारी होना और फिर उसका इस्तेमाल दवा बनाने के बजाय नशा परोसने के लिए करना, सिस्टम की बड़ी खामियों को उजागर करता है। जब हजारों बोतलों का स्टॉक एक जगह जमा होता है और प्रशासन को भनक नहीं लगती, तो यह स्थानीय तंत्र की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। यह रिपोर्ट न केवल एक सिंडिकेट का पर्दाफाश करती है, बल्कि पिछली सरकारों की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

आम आदमी के जीवन पर असर

यह खबर हर माता-पिता के लिए एक चेतावनी है। जिस कफ सिरप को हम सामान्य दवा समझते हैं, उसका इस्तेमाल तस्कर नशे के रूप में कर रहे हैं। अवैध बाजार में बिकने वाली ऐसी दवाओं का चलन युवाओं को नशे की गर्त में धकेल रहा है, जो समाज के भविष्य के लिए बेहद घातक है।

जानें पूरा मामला

उत्तर प्रदेश में कोडीन सिरप की अवैध तस्करी को लेकर सरकार ने SIT का गठन किया था। जांच में पता चला कि दवा बनाने के लाइसेंस की आड़ में इसे नेपाल और अन्य जगहों पर तस्करी किया जा रहा था। विभोर राणा को मुख्य आरोपी बताया गया है, जिसने शुभम जायसवाल और मनोज यादव के साथ मिलकर यह पूरा नेटवर्क खड़ा किया। अब SIT की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।

मुख्य बातें (Key Points)
  • SIT ने कोडीन कफ सिरप केस की रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी।

  • किंगपिन विभोर राणा को 2016 में अखिलेश सरकार के दौरान लाइसेंस मिला।

  • वाराणसी में मनोज यादव के गोदाम से भारी मात्रा में कफ सिरप बरामद।

  • कोडीन का इस्तेमाल उन देशों में नशे के लिए हो रहा था जहां नशा प्रतिबंधित है।

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