– इस पॉलिसी से 400 यूनिट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता रूफटॉप सोलर लगवाते हैं, तो उनका बिल जीरो हो जाएगा- आतिशी
– पहले एलजी साहब हफ़्तों तक सोलर पॉलिसी की फाइल को दबाए रहे और अब इस पर उल्टे-सीधे सवाल कर रहे हैं- आतिशी
– फ़ाइलों में इन अनावश्यक सवालों का सीधा उद्देश्य पॉलिसी को रोकना है ताकि आचार संहिता लगने से पहले यह लागू न हो सके- आतिशी
– सोलर पॉलिसी लागू होने से जनता के साथ-साथ पर्यावरण को फ़ायदा होगा, दिल्लीवाले खुश होकर अरविंद केजरीवाल को वोट देंगे, इसलिए एलजी इसे रोक रहे हैं- आतिशी
– एलजी अपने संवैधानिक पद की गरिमा भूलकर भाजपा को चुनाव में वोट दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं- आतिशी
– सोलर पॉलिसी दिल्लीवालों के हक़ में है, एलजी इसपर राजनीति न करें और नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए जल्द से जल्द इसे पास करे- आतिशी
– पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवाने वालों का न केवल बिजली का बिल जीरो आएगा, बल्कि सरकार से मिलने वाली सब्सिडी से आमदनी भी होगी – आतिशी
– केजरीवाल सरकार की सोलर पॉलिसी को एलजी की ओर से रोके जाने पर विधानसभा में पेश निंदा प्रस्ताव ध्वनि मत से पास
नई दिल्ली, 28 फरवरी (The News Air) केजरीवाल सरकार की सोलर पॉलिसी 2024 को एलजी द्वारा रोके जाने पर दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि एलजी साहब भाजपा की ओर से बैटिंग कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने इतनी प्रोगेसिव सोलर पॉलिसी 2024 की फाइल को रोक दी है। इस पॉलिसी को लाने के पीछे सरकार का मकसद दिल्ली में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और दिल्लीवालों के बिजली का बिल जीरो करना है। अगर कोई उपभोक्ता 400 यूनिट से अधिक बिजली की खपत कर रहा है तो वो इस पॉलिसी के तहत अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाकर बिजली का बिल जीरो कर सकता है। एलजी साहब का पॉलिसी पर अनावश्यक सवाल उठाने का सीधा उद्देश्य चुनाव आचार संहिता लगने से पहले इसे लागू होने से रोकना है। एलजी अपने संवैधानिक पद की गरिमा भूलकर भाजपा को चुनाव में वोट दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उधर, विधानसभा में चल रहे बजट सत्र में सोलर पॉलिसी पर ‘‘आप’’ विधायक राजेश गुप्ता ने निंदा प्रस्ताव रखा, जो ध्वनि मत से पास हो गया।
सोलर पॉलिसी रोके जाने पर दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि 29 जनवरी 2024 को केजरीवाल सरकार ने अपनी कैबिनेट में एक नई सोलर पॉलिसी पास की। इस सोलर पॉलिसी को देश के सबसे बेहतरीन और प्रोग्रेसिव पॉलिसी के तौर पर सराहा गया। ये एक ऐसी पॉलिसी है जो दिल्ली में रहने वाले 400 यूनिट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करने वालों को भी जीरो बिजली का बिल मिल सके, इसका प्रावधान करती है।
उन्होंने कहा कि अभी दिल्ली में सरकार 200 यूनिट तक फ्री बिजली देती है, 200-400 यूनिट तक 50 फीसद सब्सिडी देती है। लेकिन पहली बार इस पॉलिसी के माध्यम से 400 यूनिट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं का बिल भी जीरो हो सकता था तो स्वाभाविक बात थी कि दिल्ली के लोगों ने इसका स्वागत किया और जब से मुख्यमंत्री ने इस योजना की घोषणा की तो दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि हम कब इस पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवा सकते हैं।
ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा कि, इस पॉलिसी का दूसरा महत्वपूर्ण प्रावधान ये है कि सोलर पॉलिसी के तहत हर यूनिट उत्पादन पर सरकार रूफटॉप सोलर लगवाने वाले उपभोक्ताओं को पैसे देगी। 3 किलोवाट तक की बिजली के लिए प्रति यूनिट उत्पादन पर सरकार द्वारा 3 रूपये दिए जायेंगे और 3 किलोवाट से 10 किलोवाट तक प्रति यूनिट 2 रूपये दिए जायेंगे। तो न सिर्फ उपभोक्ताओं का बिजली का बिल जीरो आएगा बल्कि वो अपने छत पर लगे रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट से पैसे कमा भी सकता है।
उन्होंने कहा कि,ये इतनी महत्वाकांक्षी परियोजना है कि दिल्ली के बढ़ते पॉवर डिमांड के बावजूद इस पॉलिसी के माध्यम से हमारा लक्ष्य है कि 2027 तक दिल्ली में इस्तेमाल होने वाली 50 फीसद बिजली सोलर एनर्जी के माध्यम से आएगी जो शायद किसी और राज्य से ज्यादा होगा।
ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा कि, 29 जनवरी को इस पॉलिसी को पास किया गया, उसके 1-2 दिन बाद कैबिनेट के निर्णय का नोटिफिकेशन आया फिर उर्जा विभाग ने इसे एलजी साहब के पास भेजा। लेकिन ये बहुत दुख की बात है कि एलजी साहब द्वारा इतनी बेहतरीन सोलर पॉलिसी, जो दिल्ली के लोगों को फायदा देगी, जो पर्यावरण को फायदा देगी, जो प्रदूषण को कम करेगी। एलजी साहब पहले इस फाइल को लेकर बैठ गए उन्होंने कई दिन तक इस फाइल को वापस नहीं भेजा। मैंने व्यक्तिगत तौर पर एलजी ऑफिस से बार-बार बात कर करके ये पूछा कि फाइल कब वापिस आएगी, फाइल को नोटिफाई करना है। हमारे बार-बार पूछने के बाद जब एलजी साहब इस फाइल को रोक नहीं पाए तो उन्होंने उलूल-जलूल सवाल लगाकर इस फाइल को रोक दिया।
उन्होंने कहा कि, इन ऑब्जेक्शन को लगाने का सीधा अभिप्राय है कि अब जब ऑब्जेक्शन लग के फाइल वापस आई है तो एक अफसर से दूसरे अफसर के पास जाएगी, उससे किसी और अफसर के पास जाएगी और फाइल घुमती रह जाएगी। इस ऑब्जेक्शन को लगाने का एक ही उद्देश्य है कि इस पॉलिसी को रोका जाए और अगले महीने आने वाली आचार संहिता से पहले इस पॉलिसी को नोटीफाई नहीं होने दिया जाए।
उन्होंने कहा कि अगर यह सोलर पॉलिसी लागू हो जाती है तो दिल्ली वालों को इससे फायदा होगा, दिल्ली के लोग अरविंद केजरीवाल से खुश होंगे, उनकी पॉलिसी से खुश होंगे और उन्हें वोट देंगे। सिर्फ़ इसलिए आज एलजी साहब इस शहर के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे होने के बावजूद भी अपने पद की गरिमा को भूलकर आज भाजपा की तरफ से बैटिंग कर रहे है। आज वो भाजपा को चुनाव में वोट दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
ऊर्जा मंत्री आतिशी ने एलजी से अनुरोध किया कि दिल्ली सोलर पॉलिसी एक बहुत शानदार पॉलिसी है। इससे न केवल दिल्ली वालों को फायदा होगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। इसलिए इस पॉलिसी पर राजनीति न करे, इसे रोकने का, इसमें देरी करने का प्रयास न करे। ये सोलर पॉलिसी दिल्लीवालों के हक़ में है और दिल्ली का एलजी होने के नाते ये आपकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वो दिल्ली वालों के हक़ की पॉलिसी पास करें।
सोलर पॉलिसी रोके जाने पर सदन में निंदा प्रस्ताव पास
दिल्ली के एलजी द्वारा अरविंद केजरीवाल सरकार की सोलर पॉलिसी रोके जाने को लेकर बुधवार को वजीरपुर से विधायक राजेश गुप्ता ने विधानसभा सभा में निंदा प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया। सोलर पॉलिसी पर बोलते हुए ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली के लोगों को 400 यूनिट से अधिक की खपत पर बिजली मुफ्त मिल सके। इसके लिए केजरीवाल सरकार एक बेहतरीन सोलर पॉलिसी लेकर आई थी। लेकिन बीजेपी की तरफ से राजनीति कर रहे और विपक्ष की भूमिका निभा रहे एलजी इस पॉलिसी को रोक रहे हैं। इसको रोकने का मकसद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले केजरीवाल की सोलर पॉलिसी शुरू न होने देना है।
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दिल्ली सोलर पॉलिसी का टारगेट
सोलर पॉलिसी 2024 के मुख्यतः दो लक्ष्य हैं। पहला, दिल्ली को पूरे भारत में सौर ऊर्जा अपनाने के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करना है। जिससे दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। दूसरा, गैर-सब्सिडी वाले आवासीय उपभोक्ताओं के बिजली बिलों को जीरो और कमर्शियल व औद्योगिक उपभोक्ताओं का बिजली का बिल 50 फीसद तक कम करना है। इसके अलावा, मार्च 2027 तक दिल्ली की कुल स्थापित सौर क्षमता को मौजूदा क्षमता 1500 मेगावाट से तीन गुना बढ़ाकर 4,500 मेगावाट करना है। इसमें 2027 तक दिल्ली में 750 मेगावाट छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना और दिल्ली के बाहर स्थापित 3750 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं। परिणाम स्वरूप, 2027 तक दिल्ली की बिजली खपत का लगभग 20 फीसद सौर ऊर्जा से आएगा, जो भारत में सबसे अधिक होगा।
सोलर पॉलिसी 2024 की खासियतें
1. उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (जीबीआई)- हर इकाई सौर ऊर्जा के लिए दिल्ली सरकार छोटे छत के प्लांट (3 किलोवाट तक) के लिए 3 रुपये और बड़े प्लांट (3 से 10 किलोवाट) के लिए 2 रुपये का जीबीआई देगी। देश में दिल्ली सरकार एकमात्र है, जो जीबीईआई देने जा रही है। नई नीति के तहत जीबीआई प्राप्त करने में आने वाली कई बाधाओं को दूर कर लिया गया है।
(ए) जीबीआई प्राप्त करने के लिए न्यूनतम उत्पादन की कोई शर्त नहीं है, जबकि 2016 की नीति में यह शर्त थी।
(बी) जीबीआई के तहत राशि उपभोक्ता के मासिक बिजली बिल में समायोजित की जाएगी। किसी भी अतिरिक्त राशि को डिस्कॉम द्वारा हर महीने उपभोक्ता के बैंक खाते में जमा किया जाएगा।
2. पूंजी सब्सिडी- पहली बार दिल्ली सरकार आवासीय उपभोक्ताओं को सोलर पैनल लगवाने पर प्रति किलोवाट 2 हजार रुपए पूंजी सब्सिडी देगी, जो हर उपभोक्ता के लिए अधिकतम 10 हजार रुपये तक होगा। यह सब्सिडी केंद्र सरकार की पूंजी सब्सिडी से अधिक होगी।
3. नेट मीटरिंग- नेट मीटरिंग के तहत ग्रिड से खपत होने वाली बिजली के साथ उत्पन्न सौर ऊर्जा का समायोजन हो जाता है। मान लीजिए अगर किसी घर ने 400 यूनिट खपत की है और 100 यूनिट सौर ऊर्जा पैदा की है तो उससे केवल 300 यूनिट का बिल लिया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं को कम बिजली बिलों का लाभ मिलता है।
4. अतिरिक्त ऊर्जा इकाइयों का रोल-ओवर- हर महीने नेट मीटरिंग के बाद बची अतिरिक्त सौर उर्जा को 12 महीने (हर वित्तीय वर्ष के बंद होने तक) तक बाद के बिलिंग चक्रों में रोल-ओवर कर दिया जाएगा।
5. अतिरिक्त आय- साल के आखिर में अगर उत्पन्न सौर ऊर्जा उपभोक्ता द्वारा इस्तेमाल की गई बिजली से अधिक है तो उपभोक्ता अपने डिस्कॉम से इसके लिए पैसा कमाएगा।
– वर्तमान में दिल्ली के लगभग 70 फीसदी आवासीय उपभोक्ताओं को शून्य बिजली बिल मिलता है (200 यूनिट से कम खपत हर महीने)। नई नीति के तहत छत पर प्लांट लगाकर आंशिक रूप से सब्सिडी वाले और बिना सब्सिडी वाले उपभोक्ता भी पहले महीने से ही हर महीने शून्य बिल प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा उन्हें दिल्ली सरकार के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (जीबीआई) के जरिए से 700-900 रुपये की मासिक आय और 4 साल में कुल निवेश पर वापसी (आरओआई) प्राप्त होगी।
सौर पॉलिसी में कई मॉडल
1- सामुदायिक सौर- देश में पहली बार कम्युनिटी सौर मॉडल स्थापित किया जाएगा। यह उन उपभोक्ताओं को सक्षम बनाएगा, जिनके पास सौर संयंत्र लगाने के लिए उपयुक्त छत नहीं है. ऐसे लोग तीसरे पक्ष के स्थान पर स्थापित एक सामुदायिक स्वामित्व वाले सौर सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं और जीबीआई, नेट मीटरिंग आदि सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
2- हाइब्रिड रेस्को मॉडल- यह मॉडल उन छोटे उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करेगा, जिनके पास पैसे नहीं है, लेकिन उनके पास पर्याप्त छत की जगह है और वे पारंपरिक रेस्को मॉडल के दायरे में नहीं आते हैं। रेस्को डेवलपर, डिस्कॉम और उपभोक्ता के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता किया जाएगा। डिस्कॉम उपभोक्ता से भुगतान जमा करेगा और उसे डेवलपर को दे देगा। उपभोक्ता कम लागत वाली सौर ऊर्जा और नेट मीटिरिंग लाभों से लाभान्वित होगा।
3- पीयर टू पीयर ट्रेडिंग- देश में पहली बार सौर ऊर्जा के सहकर्मी से सहकर्मी बिजनेस के लिए भी एक मॉडल स्थापित किया जाएगा। यह सौर ऊर्जा प्रणाली के मालिकों को अपनी अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को वास्तविक समय में दिल्ली के अन्य उपभोक्ताओं को पी2पी ऊर्जा व्यापार मंच के माध्यम से बेचने में सक्षम करेगा।
– राज्य सौर पोर्टल- नई सौर नीति का लक्ष्य एक एकीकृत एकल-विंडो राज्य पोर्टल बनाना है। यह दिल्ली सौर नीति, सौर पीवी प्रणालियों का लाभ, स्थापना प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देशों, तकनीकी रूप से योग्य विक्रेताओं की सूची आदि के तहत सभी सूचनाओं के लिए एक-स्टॉप-शॉप की तरह काम करेगा।
– सरकारी भवनों के लिए अनिवार्य- नई सौर नीति के तहत 500 वर्ग मीटर से अधिक छत क्षेत्रफल वाले सभी मौजूदा सरकारी भवनों को अगले 3 वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से सौर संयंत्र लगाना होगा।
– राज्य के बाहर से सौर ऊर्जा संयंत्र- छत सौर संयंत्रों के अलावा दिल्ली सरकार दिल्ली के बाहर उपयोगिता पैमाने के सौर ऊर्जा संयंत्रों से सौर ऊर्जा खरीद को भी बढ़ावा देगी। दिल्ली भारत के पहले राज्यों में से एक है, जो आरई-आरटीसी (नवीकरणीय ऊर्जा – चौबीस घंटे) बिजली के लिए निविदा में भाग लेता है- एक नया मॉडल, जो चौबीस घंटे बिजली प्रदान करने के लिए बहुत कम कीमतों पर सौर, पवन और बैटरी को जोड़ता है। अब तक 1250 मेगावाट पहले ही निविदा चरण में है।