Gaza Protest : बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में वामपंथी दल सीपीएम (CPM) को उस वक्त कड़ी नसीहत दी, जब पार्टी ने गाजा (Gaza) में इजरायल (Israel) द्वारा किए जा रहे कथित नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन की अनुमति के लिए याचिका दायर की। अदालत ने प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार करते हुए सीपीएम को यह सलाह दी कि वे हजारों मील दूर के किसी अंतरराष्ट्रीय (International) मसले के बजाय भारत (India) के आंतरिक (Internal) मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें। सीपीएम ने आजाद मैदान (Azad Maidan) पर प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी, जिसे मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने पहले ही खारिज कर दिया था।
जस्टिस रविंद्र घुगे (Ravindra Ghuge) और गौतम अखंड (Gautam Akhand) की बेंच ने इस अर्जी को खारिज करते हुए कहा, “आपको हजारों मील दूर के किसी मसले की बजाय ऐसे मसलों पर ध्यान देना चाहिए, जिनका भारत पर असर होता हो।” बेंच ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे ही देश में तमाम मुद्दे हैं। मैं माफी चाहूंगा, लेकिन यह सही है कि आप लोगों की दूरदृष्टि नहीं है। आप लोग गाजा के मुद्दों को देख पा रहे हैं। फिलिस्तीन (Palestine) की चर्चा कर रहे हैं। अपने ही देश में देखिए। देशभक्त बनें। यह देशभक्ति (Patriotism) नहीं है। लोग कहते हैं कि वे देशभक्त हैं।”
अदालत ने सीपीएम को सुझाव दिया कि उनकी पार्टी गाजा की बजाय भारत में प्रदूषण (Pollution), बाढ़ (Flood), नाला (Drainage), और कूड़ा डंपिंग (Garbage Dumping) जैसे मुद्दों को उठा सकती है। बेंच ने कहा कि ये ऐसे मसले हैं, जिनसे आम लोग (Common People) सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। बेंच ने याद दिलाया कि सीपीएम एक राजनीतिक संगठन (Political Organization) है, जिसका पंजीकरण (Registration) भारत में है, और उन्हें भारत के स्थानीय (Local) मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
अदालत ने सीपीएम की मांग को भारतीय विदेश नीति (Indian Foreign Policy) के खिलाफ भी बताया। बेंच ने कहा, “आप देश के ऐसे किसी मसले पर आंदोलन नहीं कर रहे हैं, लेकिन ऐसे विषय पर प्रदर्शन के लिए तैयार हैं, जो देश से बाहर का है और हजारों मील दूर का मसला है।” अदालत ने संभावित कूटनीतिक परिणामों (Diplomatic Consequences) का भी जिक्र किया और सवाल उठाया, “आप फिलिस्तीन का पक्ष लेंगे या फिर इजरायल की तरफ जाएंगे। आप ऐसा करना ही क्यों चाहते हैं? सच यह है कि आपकी जो राय है, वह भारत की विदेश नीति के ही विपरीत है।”
दरअसल, 17 जून को मुंबई पुलिस ने सीपीएम की उस मांग को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने आजाद मैदान में आंदोलन की अनुमति मांगी थी। पार्टी का कहना था कि वे गाजा में हो रहे कथित नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस द्वारा अनुमति न दिए जाने के बाद, पार्टी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट में सीपीएम का पक्ष रखते हुए वकील मिहिर देसाई (Mihir Desai) ने तर्क दिया कि पुलिस ने विदेश नीति और कानून व्यवस्था (Law and Order) का हवाला देकर उनकी मांग खारिज की है, जबकि किसी भी राजनीतिक दल का यह अधिकार है कि वह प्रदर्शन कर सके। वहीं, महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के वकील ने अदालत को बताया कि उन्हें ऐसे इनपुट मिले थे कि इस प्रदर्शन के दौरान कुछ दिक्कतें पैदा हो सकती हैं, जिसके चलते अनुमति नहीं दी गई।






