Waqf Amendment Bill in Jammu and Kashmir – जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) विधानसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर सोमवार को जबरदस्त राजनीतिक घमासान देखने को मिला। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के नज़ीर ग़ुरेज़ी (Nazir Gurezi) और तनवीर सादिक (Tanvir Sadiq) के नेतृत्व में पार्टी विधायकों ने प्रश्नकाल स्थगित कर वक्फ कानून पर चर्चा की मांग रखी। इस मांग का कांग्रेस (Congress) और कुछ निर्दलीय विधायकों (Independent MLAs) ने भी समर्थन किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसका कड़ा विरोध किया।
सदन के नेता सुनील शर्मा (Sunil Sharma) के नेतृत्व में बीजेपी विधायकों ने विरोध जताया जिससे सदन में दो मिनट से अधिक समय तक हंगामा होता रहा। विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर (Abdul Rahim Rather) ने नियम 58 का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, “मैं स्थगन की अनुमति नहीं दे सकता क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है।”
अध्यक्ष की इस टिप्पणी के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी (PDP) के विधायक भड़क उठे और प्रश्नकाल स्थगित करने की मांग को लेकर अध्यक्ष के आसन (Speaker’s chair) की ओर बढ़ गए। इसके साथ ही सदन में नारेबाजी (Sloganeering) शुरू हो गई। कई विधायकों ने काले झंडे (Black Flags) लहराकर विरोध जताया।
विधानसभा में हुए इस हंगामे के दौरान एनसी विधायक तनवीर सादिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक “मुस्लिम स्टेट (Muslim State)” है और उनकी पार्टी वक्फ संशोधन बिल का विरोध करती है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि इस बिल पर चर्चा हो, इसमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन इसका विरोध ज़रूरी है क्योंकि यह समुदाय विशेष के अधिकारों पर असर डालता है।”
इस सियासी उथल-पुथल में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि एनसी ने बीजेपी के मुस्लिम विरोधी अजेंडे का ठेका ले लिया है।” महबूबा ने जम्मू-कश्मीर सरकार की तुलना तमिलनाडु (Tamil Nadu) की सरकार से करते हुए कहा कि वहां की सरकार ने विधानसभा में खुलकर वक्फ विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पास किया, जिससे अन्य राज्यों को भी सीख लेनी चाहिए।
सदन की कार्यवाही में यह पहला मौका था जब बजट सत्र के दौरान 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। यह मुद्दा अब संवेदनशील राजनीतिक बहस में बदल चुका है, जिससे आने वाले दिनों में और अधिक सियासी बवाल की संभावना है। विपक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इस विधेयक के खिलाफ एकजुट होकर विरोध जारी रखेंगे।