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CBI Director Appointment पर CJI की Role पर बवाल! Jagdeep Dhankhar का बड़ा सवाल

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने CBI निदेशक की नियुक्ति में CJI की भूमिका पर उठाए सवाल

The News Air by The News Air
Tuesday, 8th July, 2025
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vice president jagdeep dhankhar on role of CJI in appointment of cbi director
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CBI Director Appointment Controversy को लेकर भारत के उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार को एक बड़ा बयान देकर देश की राजनीति और न्यायपालिका में हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने CBI निदेशक (CBI Director) की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि कार्यपालिका पद पर किसी जज की भूमिका क्या संविधान सम्मत है और क्या दुनिया में ऐसा कहीं और भी होता है?

धनखड़ ने कोच्चि (Kochi) में कानून के छात्रों से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें हैरानी है कि एक कार्यपालिका पदाधिकारी की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) की भागीदारी होती है। उन्होंने पूछा कि यदि कार्यपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका ही नहीं करेगी, तो फिर इसका अधिकार किसे है? यह पूरी तरह संविधान की मूल भावना से भटकाव है।

CBI निदेशक की नियुक्ति DSPE एक्ट के तहत एक उच्चस्तरीय समिति करती है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition) और मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित जज होते हैं। लेकिन उपराष्ट्रपति की राय में यह व्यवस्था कार्यपालिका के स्वतंत्र अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप है, जिसे फिर से विचार के दायरे में लाना चाहिए।

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इस दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें नई दिल्ली स्थित एक न्यायाधीश के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी (Cash) बरामद हुई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी संवेदनशील घटना की तुरंत आपराधिक जांच (Criminal Investigation) होनी चाहिए थी और दोषियों को कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए था।

धनखड़ ने इस घटना की तुलना शेक्सपीयर (Shakespeare) के प्रसिद्ध नाटक ‘जूलियस सीज़र’ में आए “इडस ऑफ मार्च (Ides of March)” से की, जो किसी बड़े संकट का संकेत माना जाता है। उन्होंने कहा कि 14-15 मार्च की रात न्यायपालिका को उसी तरह का संकट देखना पड़ा, लेकिन अब तक कोई FIR (First Information Report) दर्ज नहीं की गई है, जो शासन तंत्र की निष्क्रियता को दर्शाता है।

उन्होंने स्पष्ट रूप से पूछा कि जब इतनी बड़ी मात्रा में पैसा मिला है, तो उसके स्रोत का पता क्यों नहीं लगाया गया? यह पैसा कहां से आया, किसका था, और यह कैसे एक जज के सरकारी आवास में पाया गया? उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में कई दंडात्मक प्रावधानों (Penal Provisions) का उल्लंघन हुआ है और उन्होंने उम्मीद जताई कि अब FIR दर्ज कर जांच की जाएगी।

इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उपराष्ट्रपति देश की संस्थाओं में सीमाओं के उल्लंघन और जवाबदेही को लेकर गंभीर हैं। CBI की नियुक्ति प्रक्रिया, न्यायपालिका की निष्पक्षता, और शासन में पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर यह टिप्पणी आने वाले दिनों में देशव्यापी बहस का कारण बन सकती है।

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