चंडीगढ़, 8 जुलाई (The News Air)
पंजाब में सत्तासीन कांग्रेस के बीच जारी कलह का हल जल्द निकलना काफ़ी मुश्किल साबित हो रहा है। दिल्ली में कांग्रेस हाई कमांड लगातार पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह से मुलाक़ात कर रहा है। कैप्टन ने तो मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात की और अपनी बात सामने रखी। हालांकि, इस बैठक के एक दिन बाद ही उन्होंने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से अपने दिल्ली स्थित आवास- कपूरथला हाउस पर मुलाक़ात की। उनकी इस बैठक के बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो चुका है।
बता दें कि प्रशांत किशोर जिन्हें अमरिंदर सिंह की तरफ़ से प्रमुख सलाहकार बनाया गया था, वे हालिया विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब भी पहुंचे थे। लेकिन पश्चिम बंगाल के नतीजे आने के बाद उन्होंने राजनीतिक रणनीतिकार के अपने इस ओहदे से हटने की इच्छा ज़ाहिर कर दी थी। इसके बावज़ूद कैप्टन अमरिंदर सिंह से दिल्ली में उनकी मुलाक़ात ने पंजाब सीएम कैंप को ख़ुश होने का एक मौक़ा दिया है। दरअसल, यह मुलाक़ात ऐसे समय में हुई है, जब नवजोत सिंह सिद्धू ने अमरिंदर के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला है और कुछ अन्य पार्टी नेताओं ने भी बग़ावत के संकेत दिए हैं।
इससे पहले भी राज्य में नेतृत्व में बदलाव की कुछ मांगें उठ चुकी हैं। ऐसे में अमरिंदर की किशोर से मुलाक़ात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। अमरिंदर के क़रीबी कुछ नेताओं का कहना है कि प्रशांत किशोर की पंजाब में साफ़ दिख रही दिलचस्पी ही सीएम कैंप को नई ऊर्जा देने के लिए काफ़ी है, जिसे पहले ही आंतरिक संकट की वजह से काफ़ी नुक्सान हो चुका है।
उधर सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर किसी भी राजनीतिक दल के नेता के लिए कोई प्रोजेक्ट न लेने की बात पर कायम हैं। किशोर के एक क़रीबी ने कहा, “तो क्या हुआ अगर वे मुख्यमंत्री से मिले? मुख्यमंत्री उनसे निजी तौर पर परिचित हैं। वे मिलना चाहते थे और मौक़े की बात है कि किशोर दिल्ली में ही थे। तो दोनों की मुलाक़ात हो गई।” सूत्र ने आगे कहा, “किशोर सार्वजनिक तौर पर ऐलान कर चुके हैं कि वे जो काम कर रहे थे, वह बंद कर देंगे। उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।”
बताया गया है कि ज़्यादातर विधायक पहले प्रशांत किशोर के साथ काम करने का विरोध कर चुके थे। लेकिन अब अमरिंदर कैंप उम्मीद कर रहा है कि वे सीएम के साथ दोबारा काम करें। कांग्रेस के एक नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि किशोर इस परिप्रेक्ष्य के खेल में ज़्यादा अहम हैं। अगर वे सीएम के साथ दिखते हैं, तो इससे संकेत जाता है कि मुख्यमंत्री की पकड़ मज़बूत हैं और सिद्धू की तरफ़ से चुनौती कोई मायने नहीं रखती। एक और नेता ने कहा कि किशोर लगातार पंजाब में मंत्रियों को फ़ोन कर चुके हैं और कह चुके हैं कि वे पंजाब नहीं आ रहे।