नई दिल्ली, 31 दिसंबर (The News Air) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए SpaDex (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन के तहत PSLV-C60 रॉकेट ने 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर दो स्पेसक्राफ्ट “टारगेट” और “चेजर” को अंतरिक्ष में भेजा। यह पहली बार है जब भारत ने अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट के बीच सफल डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को अंजाम दिया है।
SpaDex मिशन की मुख्य बातें:
- डॉकिंग तकनीक में भारत चौथा देश: भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ स्पेस डॉकिंग तकनीक में शामिल हो गया है।
- PSLV-C60 रॉकेट का उपयोग: मिशन के तहत दो छोटे स्पेसक्राफ्ट, “टारगेट” और “चेजर,” को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजा गया। इनका वजन 220 किलोग्राम था।
- डॉकिंग-अनडॉकिंग की प्रक्रिया: दोनों स्पेसक्राफ्ट ने अंतरिक्ष में अलग-अलग दिशाओं में उड़ान भरने के बाद सफलतापूर्वक डॉक और अनडॉक किया।
- चंद्रयान-4 और भारतीय स्पेस स्टेशन के लिए अहम: SpaDex मिशन की सफलता भविष्य में चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, और इंटरप्लेनेटरी मिशनों के लिए उपयोगी होगी।
तकनीकी और वैश्विक महत्व: ISRO ने इस मिशन के तहत स्वदेशी डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन किया, जिसे खुद विकसित किया गया है। यह तकनीक अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण, सैटेलाइट सर्विसिंग, और मानव मिशनों के लिए जरूरी है। SpaDex मिशन की सफलता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख स्थान दिलाया है।
भविष्य की योजनाएं: SpaDex के सफल परीक्षण के बाद ISRO अब अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और इंटरप्लेनेटरी मिशनों, जैसे मंगल और शुक्र अभियान, के लिए पूरी तरह से तैयार हो रहा है। इस मिशन ने भारत को स्पेस डॉकिंग तकनीक में आत्मनिर्भर बना दिया है, जो भविष्य के मानव मिशनों और जटिल अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।