ISRO NASA Shukrayaan Mission Details : भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने आज एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया को चौंकाते हुए शुक्र ग्रह (Venus) के लिए एक साझा मिशन का आधिकारिक ऐलान कर दिया है। इस महत्वाकांक्षी मिशन को “शुक्रयान” नाम दिया गया है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी के सबसे करीबी और रहस्यमयी ग्रह शुक्र के उन रहस्यों से पर्दा उठाना है, जिन्हें आज तक कोई नहीं जान पाया है। यह घोषणा भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक नए युग का सूत्रपात है और इसने पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष प्रेमियों में उत्साह की लहर दौड़ा दी है।
मिशन का उद्देश्य: क्यों खास है शुक्र ग्रह? : शुक्र को अक्सर “पृथ्वी का जुड़वां ग्रह” कहा जाता है क्योंकि दोनों का आकार और संरचना लगभग एक जैसी है। इसके बावजूद, शुक्र एक उबलती हुई भट्टी है, जहाँ सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से भी ज़्यादा है और वायुमंडल जहरीली गैसों से भरा है। वैज्ञानिक यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि एक जैसा जन्म होने के बावजूद पृथ्वी और शुक्र के हालात इतने अलग क्यों हुए।
ISRO और NASA के इस संयुक्त ‘शुक्रयान’ मिशन के मुख्य उद्देश्य हैं:
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शुक्र के घने बादलों के नीचे की सतह का हाई-रिज़ॉल्यूशन नक्शा तैयार करना।
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वायुमंडल की संरचना, इसके मौसम और ज्वालामुखी गतिविधियों का अध्ययन करना।
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यह पता लगाना कि क्या शुक्र पर कभी पानी या जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ थीं।
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शुक्र के “रनवे ग्रीनहाउस प्रभाव” को समझना, जो पृथ्वी पर हो रहे जलवायु परिवर्तन को समझने में भी मदद कर सकता है।
साझेदारी में किसकी क्या भूमिका होगी?
इस मिशन की सबसे खास बात दोनों एजेंसियों के बीच काम का बंटवारा है, जो उनकी विशेषज्ञता को दर्शाता है:
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ISRO की भूमिका: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इस मिशन के लिए ऑर्बिटर (अंतरिक्ष यान) का निर्माण करेगी और इसे अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क 3) से लॉन्च करेगी। यह ‘मेक इन इंडिया’ और भारत की आत्मनिर्भर अंतरिक्ष क्षमता का एक बड़ा प्रमाण होगा।
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NASA की भूमिका: अमेरिकी एजेंसी इस मिशन के लिए अपने सबसे उन्नत वैज्ञानिक उपकरण प्रदान करेगी। इसमें एक हाई-टेक रडार ‘NISAR’ भी शामिल होगा जो शुक्र के घने बादलों को भेदकर सतह की तस्वीरें लेने में सक्षम होगा। इसके अलावा, NASA अपने डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के माध्यम से मिशन के संचार और डेटा विश्लेषण में भी मदद करेगा।
दुनिया के लिए इसके क्या मायने हैं? : ISRO के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने इस अवसर पर कहा, “यह मिशन सिर्फ एक ग्रह की खोज नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की हमारी भावना का प्रतीक है। NASA के साथ यह साझेदारी विज्ञान और मानवता की भलाई के लिए है।”
वहीं, NASA के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, “जब महान दिमाग एक साथ आते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं होता। ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों को सुलझाने के लिए ISRO के साथ काम करना हमारे लिए गर्व की बात है।”
यह मिशन 2029 की शुरुआत में लॉन्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इस घोषणा के बाद से ही #Shukrayaan और #ISRONASA सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड बन गए हैं। यह न केवल एक वैज्ञानिक मिशन है, बल्कि यह अंतरिक्ष कूटनीति में भी भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है, जो भविष्य में भारत को एक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा।






