IPL 2024: चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच चेपॉक स्टेडियम में शुक्रवार 22 मार्च को आईपीएल 2024 सीजन का पहला मैच खेला जाएगा. हमेशा की तरह टूर्नामेंट के पहले मैच को लेकर उत्सुकता सबसे ज्यादा बनी होती है और फिर अगर वो ‘सदर्न डर्बी’ का मुकाबला हो तो रोमांच दोगुना हो जाता है. लेकिन इस बार मुकाबले से पहले ही ये टक्कर चर्चा में है क्योंकि एमएस धोनी ने चेन्नई की कप्तानी छोड़ दी है और ऋतुराज गायकवाड़ को टीम की कमान सौंप दी है. इसने हर किसी को चौंकाया तो है ही, साथ ही बेंगलुरु फैंस के मन में एक उम्मीद भी जगा दी है- क्या 16 साल के बाद उनकी टीम 2008 वाली सफलता दोहरा पाएगी?
असल में चेन्नई और बेंगलुरु के बीच एक अलग तरह की राइवलरी है- एक तरफ सीरीयल चैंपियन और दूसरी ओर लगातार संघर्ष करने वाली टीम. चेन्नई ने जहां 5 बार खिताब जीता है तो वहीं बेंगलुरु एक बार भी सफलता हासिल नहीं कर सकी है. बल्कि एक बार तो चेन्नई ने फाइनल में भी बेंगलुरु को हराया था. इसके अलावा ओवरऑल आंकड़ों में भी चेन्नई का पलड़ा बहुत भारी है. यानी राइवलरी के हिसाब से एकतरफा मामला है लेकिन बात रोमांच और स्टारपावर की होती है तो बराबरी की टक्कर है.
चेपॉक में बेहाल रही है बेंगलुरु : अब आते हैं असली मुद्दे पर. IPL के इतिहास में दोनों टीमों का 31 बार आमना-सामना हुआ है. इसमें से 20 बार चेन्नई ने बाजी मारी है, जबकि सिर्फ 10 बार ही बेंगलुरु को सफलता मिली है. एक मैच बेनतीजा रहा था. चेन्नई की इस सफलता में उसके ‘होम एडवांटेज’ का सबसे बड़ा योगदान रहा है. असल में दोनों के बीच चेन्नई के होम ग्राउंड चेपॉक में कुल 8 बार टक्कर हुई है और इसमें 7 बार चेन्नई ने बाजी मारी है, जबकि सिर्फ 1 बार बेंगलुरु को सफलता मिली है.
बेंगलुरु की ये एकमात्र सफलता भी 16 साल पहले 2008 में यानी आईपीएल के पहले सीजन में आई थी. उसके बाद से ही बेंगलुरु को चेपॉक में चेन्नई के खिलाफ हमेशा हार का सामना ही करना पड़ा था. यही कारण है कि बेंगलुरु का रिकॉर्ड चेन्नई के खिलाफ इतना खराब है.
धोनी के कप्तानी छोड़ने से होगा फायदा? : अब ये तो सब जानते ही हैं कि 2008 से ही धोनी चेन्नई के कप्तान थे और ऐसे में चेन्नई के मैदान पर बेंगलुरु की लगभग हर हार धोनी की कप्तानी वाली टीम के खिलाफ ही आई थी. इसमें चेन्नई के खिलाड़ियों के दमदार प्रदर्शन के अलावा धोनी की करिश्माई कप्तानी का भी बड़ा योगदान रहा है. ऐसे में अब धोनी टीम के कप्तान नहीं हैं तो बेंगलुरु के फैंस उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि शायद 16 साल पुरानी सफलता इस बार दोहराई जा सके. वैसे ऋतुराज भले ही कप्तान बन गए हों लेकिन धोनी अभी भी मैदान में रहेंगे और ऐसे में बेंगलुरु की राह अभी भी मुश्किल है.