NASA Scientists Miss GLEX 2025 : भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) में आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन (Global Space Exploration Conference – GLEX) में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की अनुपस्थिति ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इस बड़े आयोजन में नासा के कम से कम एक दर्जन वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों की भागीदारी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उन्हें अंतिम समय में अपना भारत दौरा रद्द करना पड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस (Indian Express) की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय आर्थिक कारणों से लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, नासा को इस यात्रा और सम्मेलन में भागीदारी के लिए जरूरी फंड ही मुहैया नहीं हो सका। परिणामस्वरूप, जब 35 देशों के प्रतिनिधि, चीन (China), जापान (Japan), कनाडा (Canada) और यूरोपीय देशों की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ सम्मेलन का हिस्सा बने, तो नासा की खाली कुर्सी सबको खलने लगी।
आयोजन समिति (Organizing Committee) के एक सदस्य ने बताया कि यह सम्मेलन अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम शोध, प्रौद्योगिकियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित था। लेकिन अमेरिका की सबसे बड़ी एजेंसी की अनुपस्थिति ने एक अहम आवाज़ को मंच से दूर रखा।
ट्रंप सरकार की नई नीतियों ने डाला असर
सूत्रों के अनुसार, नासा की इस अनुपस्थिति के पीछे अमेरिका की नई सरकार की आर्थिक नीतियां जिम्मेदार हैं। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दोबारा सत्ता में आने के बाद, 2026 के बजट में व्यापक कटौतियों की घोषणा की गई है, जिसके कारण नासा को अपने कई महत्वपूर्ण मिशन स्थगित या रद्द करने पड़े हैं। इनमें मंगल ग्रह (Mars) से सैंपल लाने वाला मिशन भी शामिल है। इसी कारण नासा की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में भागीदारी सीमित हो गई है।
भारत के लिए गौरव का क्षण
नासा की अनुपस्थिति के बावजूद भारत के लिए यह सम्मेलन एक ऐतिहासिक उपलब्धि रहा। पहली बार GLEX की मेज़बानी कर रहा भारत दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एक केंद्र बनकर उभरा। ISRO और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री संघ (Association of Space Explorers) द्वारा आयोजित इस आयोजन में 1700 से अधिक प्रतिनिधियों और 10 अंतरिक्ष यात्रियों ने भाग लिया।
एक IAF सदस्य (Indian Air Force member) ने बताया कि नासा इस समय आंतरिक बदलावों के दौर से गुजर रहा है और कई विभागों में स्थायी प्रमुखों की नियुक्ति अभी नहीं हो सकी है, जिससे प्रतिनिधित्व और भी कठिन हो गया।
सम्मेलन में ISRO और प्राइवेट कंपनियों का जलवा
नासा की गैरहाजिरी के बावजूद, सम्मेलन में अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य पर गहन चर्चा हुई। चंद्र मिशन (Moon Missions), मंगल मिशन (Mars Missions), और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) जैसे विषयों पर वैज्ञानिकों ने अपनी राय रखी। ISRO ने अपने गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) और आगामी चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) की जानकारी साझा की, वहीं स्पेसएक्स (SpaceX) और ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) जैसी निजी कंपनियों ने भी अपनी योजनाएं पेश कीं।
भारत की अंतरिक्ष ताकत को वैश्विक मंच पर मजबूती मिली, और भले ही नासा शामिल नहीं हो पाया, लेकिन सम्मेलन ने भारत के नेतृत्व को अंतरिक्ष जगत में स्थापित कर दिया।