India New Seismic Map को लेकर एक डराने वाली खबर सामने आई है। हिमाचल प्रदेश के लिए खतरे की घंटी अब और तेज हो गई है। हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने देश का नया और अपडेटेड भूकंपीय नक्शा (Seismic Map) जारी किया है, जिसने वैज्ञानिकों से लेकर आम लोगों तक सबकी चिंता बढ़ा दी है। इस नए नक्शे में पूरे हिमालयी क्षेत्र को देश के सबसे संवेदनशील और खतरनाक Zone VI यानी Red Zone में शामिल कर दिया गया है। यह इतिहास में पहली बार है जब पूरे हिमालय को एक साथ सर्वोच्च जोखिम वाले क्षेत्र में रखा गया है।
हिमाचल के इन 7 जिलों पर सबसे ज्यादा खतरा
इस नए नक्शे के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा, कुल्लू, चंबा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों को सबसे अधिक खतरे वाली श्रेणी में रखा गया है। इन जिलों में अब भूकंप का जोखिम पहले की तुलना में कहीं ज्यादा माना जा रहा है। पहले हिमालय के कुछ हिस्से Zone IV और कुछ Zone V में आते थे, लेकिन अब यह अंतर खत्म कर दिया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बदलाव सिर्फ कागजों पर नहीं है, बल्कि भविष्य में आने वाले संभावित बड़े भूकंपों (Earthquakes) की चेतावनी है।
जमीन के नीचे बन रहा है भयानक दबाव
वैज्ञानिकों ने इस खतरे के पीछे की वजह भी बताई है। उनके अनुसार, हिमालय क्षेत्र में भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों (Tectonic Plates) के लगातार टकराने से जमीन के अंदर जबरदस्त दबाव बन रहा है। काफी लंबे समय से इस इलाके में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिस वजह से जमीन के नीचे भारी ऊर्जा (Energy) जमा हो रही है। यही दबी हुई ताकत किसी भी समय विनाशकारी झटकों के रूप में बाहर आ सकती है। इसी खतरे को देखते हुए 2025 के भूकंप डिजाइन कोड (Earthquake Design Code) के तहत एक नया और खतरनाक Zone VI बनाया गया है।
प्रोजेक्ट्स और विकास कार्यों पर संकट
स्थिति इसलिए भी ज्यादा गंभीर और डराने वाली है क्योंकि हिमाचल प्रदेश की 90% से ज्यादा जल विद्युत परियोजनाएं (Hydro Projects) इन्हीं सात हाई रिस्क वाले जिलों में मौजूद हैं। इसके अलावा फोर लेन सड़कें, लंबी सुरंगें (Tunnels) और प्रस्तावित रेल लाइन जैसी बड़ी बुनियादी परियोजनाएं भी इन्हीं संवेदनशील इलाकों में बन रही हैं। अगर यहां कोई बड़ा भूकंप आता है, तो इसका असर सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर (National Level) पर पड़ेगा और भारी तबाही मच सकती है।
देश की 75% आबादी खतरे के साये में
नए भूकंपीय मानचित्र का असर सिर्फ पहाड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश पर पड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, पहले जहां भारत की लगभग 59% जमीन को भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता था, अब यह आंकड़ा बढ़कर 61% हो गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि देश की करीब 75% आबादी अब ऐसे इलाकों में रह रही है, जहां भूकंप की गतिविधियां (Seismic Activities) बेहद सक्रिय मानी जाती हैं। बीआईएस (BIS) द्वारा जारी इस नक्शे ने प्रशासन और सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
क्या है पृष्ठभूमि
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) समय-समय पर देश के भूकंपीय जोन्स का रिव्यू करता है। 2025 के नए कोड के तहत, हिमालय में टेक्टोनिक प्लेटों के बढ़ते दबाव और ऊर्जा संचय को देखते हुए जोखिम का स्तर बढ़ा दिया गया है। इसी के तहत अब तक के सबसे खतरनाक ‘जोन 6’ का गठन किया गया है ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर को उसी हिसाब से मजबूत बनाया जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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BIS के नए नक्शे में पूरे हिमालय को सबसे खतरनाक Zone VI (रेड जोन) में रखा गया है।
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हिमाचल के शिमला, कांगड़ा और कुल्लू समेत 7 जिले सर्वोच्च जोखिम वाली श्रेणी में हैं।
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टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से जमीन के नीचे भारी दबाव और ऊर्जा जमा हो रही है।
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भारत की 61% जमीन अब भूकंप के लिहाज से संवेदनशील हो चुकी है।






