4 मई को एस्टरॉयड 2023 HZ4 धरती के करीब से होकर गुजरने वाला है। यह हाल ही में आए उल्का पिंडों में सबसे बड़ा है। यह किसी बड़े हवाई जहाज के जितने आकार का बताया गया है। जब यह धरती के करीब से गुजर रहा होगा तो इसकी दूसरी 3,080,000 किलोमीटर रह जाएगी। इसकी स्पीड 81,907 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है। यह Apollo ग्रुप के एस्टरॉयड्स से संबंध रखता है। साइज के हिसाब से देखें तो इस एस्टरॉयड से सबसे ज्यादा संभावित खतरा हो सकता है। अगर इस साइज का एस्टरॉयड धरती से टकराता है तो यह इसके एक बड़े हिस्से को तबाह कर सकता है।
इसके बाद कल यानि, 5 मई को एस्टरॉयड 2006 HX57 पृथ्वी के करीब आने वाला है। इसका साइज 94 फीट है। जब यह धरती के सबसे करीब होगा तब इसकी दूसरी 2,600,000 किलोमीटर की रह जाएगी। नासा की जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी के मुताबिक, 150 फीट या उससे ज्यादा बड़ा एस्टरॉयड धरती के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में ये दोनों ही एस्टरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकते हैं। हालांकि किसी एस्टरॉयड के सीधे धरती से टकराने जैसी कोई सूचना नासा की ओर से जारी नहीं की गई है। लेकिन इनकी दिशा बहुत तेजी से बदल सकती है और गुरुत्वाकर्षण के कारण यह धरती की सतह पर गिरने की दिशा भी पकड़ सकते हैं।
4 मई को एस्टरॉयड 2023 HZ4 धरती के करीब से होकर गुजरने वाला है। यह हाल ही में आए उल्का पिंडों में सबसे बड़ा है। यह किसी बड़े हवाई जहाज के जितने आकार का बताया गया है। जब यह धरती के करीब से गुजर रहा होगा तो इसकी दूसरी 3,080,000 किलोमीटर रह जाएगी। इसकी स्पीड 81,907 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है। यह Apollo ग्रुप के एस्टरॉयड्स से संबंध रखता है। साइज के हिसाब से देखें तो इस एस्टरॉयड से सबसे ज्यादा संभावित खतरा हो सकता है। अगर इस साइज का एस्टरॉयड धरती से टकराता है तो यह इसके एक बड़े हिस्से को तबाह कर सकता है।
इसके बाद कल यानि, 5 मई को एस्टरॉयड 2006 HX57 पृथ्वी के करीब आने वाला है। इसका साइज 94 फीट है। जब यह धरती के सबसे करीब होगा तब इसकी दूसरी 2,600,000 किलोमीटर की रह जाएगी। नासा की जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी के मुताबिक, 150 फीट या उससे ज्यादा बड़ा एस्टरॉयड धरती के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में ये दोनों ही एस्टरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकते हैं। हालांकि किसी एस्टरॉयड के सीधे धरती से टकराने जैसी कोई सूचना नासा की ओर से जारी नहीं की गई है। लेकिन इनकी दिशा बहुत तेजी से बदल सकती है और गुरुत्वाकर्षण के कारण यह धरती की सतह पर गिरने की दिशा भी पकड़ सकते हैं।