EVM Counting Process : बिहार में आज दूसरे चरण का मतदान EVM के जरिए हो रहा है और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। पहले की तरह अब हाथ से बैलेट पेपर नहीं गिने जाते, बल्कि EVM से गिनती मिनटों में हो जाती है। ऐसे में समझते हैं कि EVM से वोटों की गिनती का पूरा सिस्टम क्या है।
EVM कैसे काम करती है?
एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में दो यूनिट होती हैं- कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट। बैलेटिंग यूनिट वह मशीन होती है जिस पर आप अपनी पसंद के उम्मीदवार का बटन दबाते हैं, यह वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखी होती है।
कंट्रोल यूनिट, पीठासीन अधिकारी (पोलिंग अफसर) के पास रहती है। जब कोई मतदाता वोट देने आता है, तो अधिकारी कंट्रोल यूनिट से ‘बैलेट’ बटन दबाता है, तभी बैलेटिंग यूनिट एक्टिव होती है और मतदाता वोट डाल पाता है।
गिनती से पहले होता है मॉक पोल
मतदान शुरू होने से पहले, पोलिंग एजेंटों के सामने EVM का ‘टोटल’ बटन दबाकर यह दिखाया जाता है कि मशीन में पहले से कोई वोट (रिजल्ट ‘0’) नहीं है। इसके बाद एक मॉक पोल (नकली वोटिंग) भी किया जाता है, जिसके परिणाम का मिलान एजेंटों से कराकर मशीन को क्लियर किया जाता है।
कैसे होती है वोटों की गिनती?
वोटिंग खत्म होने के बाद पीठासीन अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर ‘क्लोज’ बटन दबा देता है। इसके बाद EVM कोई वोट स्वीकार नहीं करती। इस कंट्रोल यूनिट को सील कर दिया जाता है।
गिनती वाले दिन (जैसे बिहार में 14 नवंबर), सील की गई कंट्रोल यूनिट का ‘रिजल्ट’ बटन दबाया जाता है। यह बटन दबाते ही, उस मशीन पर किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले, वह सारी जानकारी कैंडिडेट-वाइज टैली के साथ स्क्रीन पर आ जाती है। इसी तरह हर बूथ की कंट्रोल यूनिट से वोटों को जोड़कर फाइनल नतीजा घोषित किया जाता है।
पोलिंग एजेंट को दी जाती है कॉपी
वोटिंग खत्म होने के बाद हर बूथ पर पोलिंग एजेंटों को डाले गए कुल वोटों की गिनती की एक कॉपी दी जाती है। काउंटिंग के दिन उस कॉपी का मिलान कंट्रोल यूनिट से निकले वोटों से किया जाता है। अगर इसमें कोई गड़बड़ी (विसंगति) पाई जाती है, तो एजेंट तुरंत इसकी सूचना दे सकते हैं।
मुख्य बातें (Key Points):
- EVM में दो यूनिट (कंट्रोल और बैलेटिंग) होती हैं, वोट बैलेटिंग यूनिट पर डाला जाता है।
- वोटिंग के दौरान कंट्रोल यूनिट का ‘रिजल्ट’ बटन पूरी तरह सील रहता है।
- गिनती वाले दिन ‘रिजल्ट’ बटन दबाते ही हर कैंडिडेट को मिले वोटों की संख्या पता चल जाती है।
- वोटिंग के बाद कुल वोटों का ब्यौरा पोलिंग एजेंटों को भी दिया जाता है, जिसका मिलान गिनती के समय होता है।






