Pakistan Spy Network in India : भारत (India) में पाकिस्तान (Pakistan) के लिए चल रहे जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए हरियाणा (Haryana), पंजाब (Punjab) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पुलिस ने कम से कम 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें यूट्यूबर (YouTuber), छात्र (Student) और दिहाड़ी मजदूर (Daily Wage Workers) तक शामिल हैं, जिससे देश की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और आम नागरिकों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
पिछले कुछ दिनों में भारत (India) की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान (Pakistan) के लिए जासूसी कर रहे कई लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां ऑपरेशन सिंदूर से पहले और उसके बाद की गई हैं। पंजाब (Punjab) में 3 मई को सबसे पहली गिरफ्तारी हुई थी, जब अमृतसर (Amritsar) से पलक शेर मसीह और सूरज मसीह को सेना छावनी और एयरफोर्स बेस की संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में पकड़ा गया। जांच में सामने आया कि इन दोनों का संपर्क अमृतसर जेल में बंद हरप्रीत सिंह उर्फ पिट्टू उर्फ हैप्पी द्वारा पाकिस्तानी एजेंटों से करवाया गया था।
8 मई को पंजाब (Punjab) के मलेरकोटला (Malerkotla) में गजाला और यामीन मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया। पुलिस का दावा है कि दोनों का संपर्क दिल्ली (Delhi) स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी से था। दोनों एजेंट के निर्देश पर पैसे के बदले खुफिया जानकारी भेजते थे और अन्य लोकल एजेंटों को भी भुगतान पहुंचाने में शामिल थे।
भारत सरकार ने 13 मई को एक पाकिस्तानी अधिकारी को “अवांछित व्यक्ति” घोषित किया और 24 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उसका नाम एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश था, जिससे कई गिरफ्तार व्यक्तियों का संपर्क था।
इसके बाद 16 मई को हरियाणा (Haryana) के हिसार (Hisar) से यात्रा ब्लॉग चलाने वाली यूट्यूबर ज्योति रानी को गिरफ्तार किया गया। उसका यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ अभी भी सक्रिय है, जिसमें 3.86 लाख सब्सक्राइबर हैं। आरोप है कि ज्योति ने भी दानिश को संवेदनशील जानकारी भेजी थी।
हरियाणा (Haryana) के कैथल (Kaithal) से एक 25 वर्षीय छात्र देवेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया, जिसने कथित रूप से पटियाला छावनी की तस्वीरें पाक एजेंट को भेजीं। रिपोर्टों के मुताबिक कई और गिरफ्तारियां संभावित हैं, और पंजाब पुलिस करीब 50 संदिग्धों पर नजर बनाए हुए है।
इन सभी मामलों में ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (OSA) और भारतीय न्याय संहिता (Indian Penal Code) की धारा 152 के तहत केस दर्ज किए गए हैं। OSA की धारा 3 के तहत प्रतिबंधित क्षेत्र के आसपास जाने या गोपनीय जानकारी साझा करने पर 14 साल तक की सजा हो सकती है, जबकि धारा 5 के तहत 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने से संबंधित है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया कि जासूसी के लिए अक्सर लो-प्रोफाइल लोग चुने जाते हैं, जो सामान्य समाज में आसानी से घुलमिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य यात्रियों द्वारा लिया गया वीडियो भी दुश्मन एजेंसी के लिए अहम जानकारी बन सकता है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा ने पहलगाम हमले की पूर्व जानकारी न मिलने को खुफिया तंत्र की विफलता बताया। उन्होंने आशंका जताई कि कई बार एजेंसियां अपनी विफलता छुपाने के लिए निर्दोष लोगों को फंसा देती हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं अर्धसत्य और भ्रम की स्थिति हो सकती है।
यह पूरी घटना न सिर्फ देश की सुरक्षा प्रणाली की कमजोरियों की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि अब जासूसी जैसे गंभीर मामलों में आम नागरिक कैसे इस्तेमाल किए जा रहे हैं।






