Pakistani Drone Attack : पाकिस्तानी ड्रोन अटैक (Pakistani Drone Attack) की भयावहता एक बार फिर भारत-पाकिस्तान सीमा पर देखने को मिली है, जब पंजाब (Punjab) के फिरोजपुर (Firozpur) जिले के गांव खाई फेमे (Khai Pheme) में 9 मई की रात एक ड्रोन गिरा और उसमें लगी आग में झुलसकर एक महिला की मौत हो गई। मृतका की पहचान सुखविंदर कौर (Sukhwinder Kaur), उम्र 50 वर्ष, के रूप में हुई है, जो इस हमले में पूरी तरह जल गई थीं। उनके पति लखविंदर सिंह (Lakhwinder Singh), उम्र 55 वर्ष, और बेटा जसवंत सिंह (Jaswant Singh), उम्र 24 वर्ष, भी झुलस गए थे। पति की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है जबकि बेटा खतरे से बाहर है।
घटना के बाद घायलों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां बर्न यूनिट न होने के कारण उन्हें फिरोजपुर के निजी अनिल बागी अस्पताल (Anil Baghi Hospital) में शिफ्ट किया गया। परिवार ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि अस्पताल ने इलाज शुरू करने से पहले ही 40 हजार रुपये एडवांस मांगे, जिसे रिश्तेदारों से उधार लेकर जमा किया गया।
लुधियाना (Ludhiana) के डीएमसी अस्पताल (DMC Hospital) में डॉक्टरों ने पुष्टि की कि सुखविंदर कौर 100% जल चुकी थीं, जिसके चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके पति भी करीब 70% जल चुके हैं और आईसीयू में इलाजरत हैं। यह वही परिवार है जो हाल ही में पाकिस्तानी ड्रोन हमले का शिकार बना और अब इलाज व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।
पाकिस्तान की ओर से यह हमला भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद हुआ। 9 मई को ड्रोन लखविंदर सिंह के मकान की छत पर गिरा, जिससे छत में छेद हुआ और कार में आग लग गई। आग ने पूरे घर को चपेट में ले लिया, जिसमें तीनों सदस्य बुरी तरह से झुलस गए।
इस दर्दनाक हादसे के बाद पंजाब सरकार हरकत में आई। 10 मई को पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां (Gurmeet Singh Khudian) फिरोजपुर पहुंचे और घायलों का हाल जाना। उन्होंने यह ऐलान भी किया कि इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इसके बाद भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) और फिरोजपुर सांसद शेर सिंह घुबाया (Sher Singh Ghubaya) ने भी डीएमसी अस्पताल जाकर हालात का जायजा लिया। सांसद ने बताया कि कार पूरी तरह जल चुकी थी और पति-पत्नी 75% से अधिक झुलस चुके हैं।
आज सुखविंदर कौर का शव गांव लाया जा रहा है। गांव में मातम पसरा हुआ है और परिवार गहरे सदमे में है। गांव वालों का कहना है कि ऐसी घटनाओं के लिए सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों में और पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
यह घटना सिर्फ पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले की गंभीरता नहीं दिखाती, बल्कि यह भी बताती है कि ऐसे युद्ध जैसे हालात में भी निजी अस्पतालों का रवैया कैसा होता है।