संभल, 26 दिसंबर (The News Air): उत्तर प्रदेश के संभल जिले में इतिहास के पन्नों को खोलने वाली एक महत्वपूर्ण खोज हुई है। गुरुवार को जामा मस्जिद से महज 200 मीटर की दूरी पर एक प्राचीन कुआं मिला है। इसे स्थानीय लोग ‘मृत्यु का कुआं’ भी कह रहे हैं। इस स्थान पर अभी भी खुदाई का काम जोरों पर है। जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने जानकारी दी कि यह कुआं एक जागृत स्थल है और इसके आसपास के इलाके के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं।
चंदौसी में मिली बावड़ी से तुलना: इससे पहले, चंदौसी के लक्ष्मणगंज में एक सदियों पुरानी बावड़ी मिली थी, जिसकी खुदाई पिछले पांच दिनों से चल रही है। माना जा रहा है कि यह बावड़ी राजपूत काल के पृथ्वीराज चौहान के समय की हो सकती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने इस बावड़ी और आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण किया।
एएसआई की सक्रियता: 25 दिसंबर को, एएसआई की टीम ने चंदौसी में पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी और फिरोजपुर किले का निरीक्षण किया। डीएम और एसपी के साथ टीम ने तोता-मैना की कब्र और अन्य ऐतिहासिक स्थलों का मुआयना किया। यह किला पहले से ही एएसआई के संरक्षण में है, लेकिन अब इसके आसपास के क्षेत्र को सुरक्षित करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
जामा मस्जिद के पास मिला कुआं: जिलाधिकारी ने बताया कि संभल के आसपास कई ऐतिहासिक अवशेष हैं, जो अब भी संरक्षण और अध्ययन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जामा मस्जिद के पास मिले इस कुएं को ‘नीमसार का जागृत कूप’ भी कहा जा रहा है। यह क्षेत्र जल स्रोतों और प्राचीन तीर्थ स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। शुरुआती जांच में पता चला है कि यह कुआं 10-12 फीट गहरा है और इसके अंदर पानी मौजूद है।
संभल के ऐतिहासिक महत्व पर जोर: संभल प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का गढ़ रहा है। जिलाधिकारी के अनुसार, यहां पृथ्वीराज चौहान के काल के कई अवशेष और राजपूत काल की बावड़ियां पाई जाती हैं।
संरक्षण की दिशा में प्रयास: एएसआई और स्थानीय प्रशासन इन धरोहरों को संरक्षित करने के लिए सक्रिय हो गए हैं। तोता-मैना की कब्र, बावड़ियां, और अन्य स्थलों को संरक्षित करने के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है। यह खोज भारत के समृद्ध इतिहास को समझने में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है।