Indian Male Fertility, TB Cases India देश के सामने स्वास्थ्य से जुड़ी तीन बड़ी चुनौतियां सामने आई हैं। एक ओर भारतीय पुरुषों में बच्चा पैदा करने की क्षमता यानी फर्टिलिटी लगातार घट रही है, वहीं दूसरी ओर भारत टीबी (Tuberculosis) के सबसे ज़्यादा मामलों वाला देश बन गया है। इन सबके बीच, बाज़ार में बिक रहे मिलावटी जीरे ने आम आदमी की सेहत को खतरे में डाल दिया है।
भारतीय पुरुषों में क्यों घट रही फर्टिलिटी?
इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के अनुसार, देश में ढाई करोड़ से ज़्यादा लोग इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, जिसमें 40 से 50% मामले पुरुषों से जुड़े होते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि फर्टिलिटी में गिरावट का सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल इश्यूज़ और प्रदूषण है।
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मुख्य कारण: डाइट में सही विटामिन्स और पौष्टिक आहार की कमी, ज़्यादा फैटी फूड्स से बढ़ती ओबेसिटी, और एक्सरसाइज की कमी हार्मोनल पैरामीटर्स को असामान्य करती है।
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आधुनिक जीवनशैली का असर: डेस्क जॉब वाले लोगों को लैपटॉप से होने वाला रेडिएशन और हीट प्रोडक्शन भी स्पर्म प्रोडक्शन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा, तनाव, एंग्जायटी, और क्रोनिक स्ट्रेस भी हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ते हैं, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन कम हो जाता है।
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खराब आदतें: सिगरेट, स्मोकिंग, तंबाकू चबाना, और अत्यधिक शराब का सेवन शरीर में टॉक्सिन्स बनाता है जो सीधे अंडकोष को प्रभावित करते हैं।
समस्या का इलाज और जरूरी टेस्ट
पुरुषों को समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए स्पर्म एनालिसिस या वीर्य विश्लेषण करवाना चाहिए, जिसमें शुक्राणु की गिनती, मोशन (गति), और आकार की जांच की जाती है। यदि यह रिपोर्ट बार-बार खराब आती है, तो हार्मोनल प्रोफाइल की विस्तृत जांच की जाती है। इसमें टेस्टोस्टेरॉन, थायराइड, एफएसएच और एलएच जैसे हार्मोन्स के स्तर देखे जाते हैं।
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इलाज के विकल्प: जीवनशैली में बदलाव, मेडिटेरियन डाइट लेना, रोज़ 7-8 घंटे की नींद लेना और 40 मिनट की ब्रिस्क एक्सरसाइज करना जरूरी है। यदि कोई विशिष्ट मेडिकल या सर्जिकल समस्या पाई जाती है, तो हार्मोनल या सर्जिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है। उदाहरण के लिए, वैरिकोसील (अंडकोष के आसपास की नसें सूज जाना) होने पर वैरिकोसेलेक्टमी नामक छोटा ऑपरेशन किया जाता है।
भारत में TB के 25% मामले
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, साल 2024 में दुनिया भर में टीबी के 1 करोड़ से ज़्यादा नए मामले सामने आए, जिनमें से 25% मामले सिर्फ भारत में रिपोर्ट हुए हैं। टीबी से 12 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई।
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लक्ष्य चूका: भारत सरकार ने 2025 तक देश से टीबी को मिटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो पाया है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 2015 से 2024 के बीच टीबी के मामलों में 21% की गिरावट आई है।
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टीबी क्या है: टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में फैल सकता है।
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लक्षण और इलाज: दो हफ्ते से ज़्यादा खांसी रहना, खांसी के साथ खून/बलगम आना, बुखार और रात में पसीना आना इसके मुख्य लक्षण हैं। नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम (NT-EP) के तहत मरीजों को मुफ्त दवाइयां और इलाज दिया जाता है, जिसका कोर्स आमतौर पर 6 से 9 महीने तक चलता है।
मिलावटी जीरे की पहचान करना सीखें
खाने में इस्तेमाल होने वाला जीरा भी अब मिलावट से अछूता नहीं है। मिलावटी जीरे के इस्तेमाल से हाजमा बिगड़ सकता है, लीवर और किडनी पर असर पड़ सकता है, और स्किन एलर्जी हो सकती है।
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रंग और गंध: असली जीरे का रंग हल्का भूरा या ग्रे होता है, जबकि ज़्यादा चमकीला या काला जीरा मिलावटी हो सकता है। असली जीरे से तीखी खुशबू आती है, लेकिन अगर बहुत तेज़ या केमिकल जैसी गंध आ रही है, तो मिलावट की आशंका है।
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जांचने के तरीके:
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रगड़ना: जीरे को रगड़ने पर अगर हथेली में रंग छूटता है, तो उसमें आर्टिफिशियल रंग या डाई मिलाई गई है।
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पानी में घोलना: एक गिलास पानी में जीरा डालने पर, असली जीरा तली में बैठ जाता है, जबकि मिलावटी जीरा तैरने लगता है या पानी का रंग बदल देता है।
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जलाना: असली जीरा जलने पर मसाले की खुशबू देगा, जबकि मिलावटी जीरे से केमिकल जैसी गंध आएगी।
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खरीदने की सलाह: जीरा खरीदते समय FSSAI का मार्क जरूर देखें और हमेशा किसी भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें।
मुख्य बातें (Key Points)
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भारत में 2.5 करोड़ से अधिक लोग इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, जिसमें 40-50% मामले पुरुषों से जुड़े हैं, जिसका मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल और प्रदूषण है।
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भारत में टीबी के 2024 में 25% मामले रिपोर्ट हुए, लेकिन 2015 से 2024 के बीच मामलों में 21% की गिरावट आई है।
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मिलावटी जीरे की पहचान उसके रंग, तीखी गंध और पानी में डूबने के परीक्षण से की जा सकती है।
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टीबी का इलाज नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम (NT-EP) के तहत मुफ्त है और इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।






