चंडीगढ़, 02 जनवरी (The News Air): – प्रदेश में अवैध खनन करने वालों के खिलाफ हरियाणा सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है। अवैध खननकारियों के खिलाफ न केवल एफआईआर दर्ज की जा रही है बल्कि उनसे जुर्माना भी वसूल किया जा रहा है। सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक राज्य में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार ने कई सख्त उपाय लागू किए हैं। प्रशासन ने खनन स्थलों पर नियमित निरीक्षण और निगरानी बढ़ा दी है। ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि अवैध गतिविधियों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, अवैध खनन में शामिल वाहनों को भी जब्त किया जा रहा है और दोषियों को कानून के तहत सख्त सजा दी जा रही है।
नूंह जिला के रवा गांव में अवैध खनन को लेकर कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट निराधार हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि इससे राज्य के खजाने को 2200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। साथ ही सोशल मीडिया पर भी इस संबंध में किए जा रहे दावे तथ्यों से परे हैं। जानकारी के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से वर्ष 2002 से गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूहं जिलों में अरावली क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध है। इस क्षेत्र में हरियाणा और राजस्थान के बीच सीमा को लेकर अंतर-राज्यीय विवाद भी है जिसका लाभ राजस्थान के खान पट्टाधारक उठा रहे हैं और हरियाणा के अंदर अतिक्रमण कर रहे हैं। इस संबंध में, खान एवं भूविज्ञान कार्यालय, गुरुग्राम/नूंह द्वारा फिरोजपुर झिरका पुलिस स्टेशन और हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो में समय-समय पर अब तक 8 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
जानकारी के मुताबिक हाल ही में रवा में जो पहाड़ गिरा है, उसमें 6000 मीट्रिक टन पत्थर के अवैध खनन का आंकलन पाया गया, जिसकी कुल रॉयल्टी व कीमत 15 लाख रुपए आंकी गई है। 16 दिसंबर 2024 को रवा क्षेत्र में निरीक्षण में पाया गया कि हरियाणा की राज्य रेखा को चिह्नित करने वाले सीमा स्तंभ बरकरार है। इस मामले में 23 दिसंबर 2024 को पुलिस स्टेशन फिरोजपुर झिरका तथा हरियाणा प्रवर्तन ब्यूरो, नूंह में राजस्थान के पट्टाधारकों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई गई, जिसमें मैसर्स पंच भाई स्टोन कंपनी, मैसर्स हाजी ट्रेडिंग कंपनी, आशु सरपंच धोलेट और दलसेर, नांगल, तहसील पहाड़ी, राजस्थान के नाम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, जिस पहाड़ के खिसकने बारे समाचार पत्रों में आया है, उस बारे विभाग की सर्वेक्षण टीम द्वारा बताया गया है कि वह पहाड़ राजस्थान की सीमा में है तथा इस बारे राजस्थान द्वारा पहले ही एफआईआर दर्ज करवा दी गई है।
अवैध खनन के इस मामले को हल करने के लिए हरियाणा का खान एवं भूविज्ञान विभाग तथा राजस्थान का खान एवं भूविज्ञान विभाग मिलकर समन्वय कर रहा है। उल्लेखनीय है कि खान एवं भूविज्ञान विभाग, हरियाणा खनन माफिया पर लगातार नकेल कस रहा है। इसी का नतीजा है कि गत वर्ष हरियाणा के खान एवं भूविज्ञान विभाग को समस्त हरियाणा में संचालित माइनिंग लीज, लघु अवधि परमिट, भट्टों से प्राप्त रायल्टी व अवैध खनन/अवैध खनिज परिवहन से जुर्माना राशि के लगभग 800 करोड़ रुपए हासिल हुए हैं।