पिछले साल सस्ते भाव पर पेट्रोल और डीजल की बिक्री के चलते सरकारी तेल कंपनियों को काफी घाटा हुआ था। अब सरकार इन कंपनियों में पैसे डालने की योजना बना रही है। इसके तहत सरकार हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) में अहम हिस्सेदारी खरीद सकती है। करीब 5 साल पहले सरकार ने इसमें अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी और अब सरकार इसे फिर खरीदेगी। इस वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल (Indian Oil), HP (Hindustan Petroleum) और BP (Bharat Petroleum) में 30 हजार करोड़ रुपये डालने का ऐलान किया था।
यह ऐलान एनर्जी ट्रांजिशन और नेट-जीरो की पहल को सपोर्ट करने के लिए किया गया था। सरकार ने जनवरी 2018 में विनिवेश कार्यक्रम के तहत हिंदुस्तान पेट्रोलियम में अपनी पूरी 51.11 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी थी और 36915 करोड़ रुपये में इसे ओएनजीसी ने खरीद लिया था।
कहां तक आगे बढ़ चुकी है योजना
पिछले महीने जून में सरकार ने इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम को राइट इश्यू के जरिए पैसे जुटाने को कहा था। इसके अलावा हिंदुस्तान पेट्रोलियम से सरकार को प्रिफरेंशियल शेयर अलॉटमेंट को कहा गया था। इस महीने की शुरुआत में इंडियन ऑयल के बोर्ड ने 22 हजार करोड़ रुपये के राइट इश्यू को मंजूरी दी। भारत पेट्रोलियम के बोर्ड ने भी 18 हजार करोड़ रुपये के राइट इश्यू को मंजूरी दी। हालांकि हिंदुस्तान पेट्रोलियम अभी भी सरकार के सुझाव के मुताबिक आगे नहीं बढ़ पाई है। इस मामले में शामिल अधिकारियों का कहना है कि HPCL का बोर्ड प्रिफरेंशियल इश्यू से पहले सरकार से निर्देशों का इंतजार कर रहा है।
सरकार की HPCL में कितनी हो जाएगी हिस्सेदारी
अगर इंडियन ऑयल के सभी शेयरहोल्डर्स राइट इश्यू में हिस्सा लेते हैं तो सरकार की 51.5 फीसदी हिस्सेदारी के हिसाब से इसे 11330 करोड़ रुपये मिलेंगे और BPCL (भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड) में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी के हिसाब से इसे 9530 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके बाद एचपीसीएल के लिए सरकार के पास बजट में आवंटित 30 हजार करोड़ रुपये में से 9000-10000 करोड़ रुपये बचेंगे। अब एचपीसील के मौजूद मार्केट कैप के हिसाब से सरकार इन पैसों को कंपनी में डालेगी तो इसके पास बड़ी हिस्सेदारी हो जाएगी। हालांकि कितनी हिस्सेदारी होगी, इसका फैसला इसी से होगा कि किस भाव पर शेयर जारी होंगे।
पिछले साल कितना हुआ था तेल कंपनियों को घाटा
हिंदुस्तान पेट्रोलियम की पूरी हिस्सेदारी बेचने के बावजूद इसके बोर्ड में सभी निदेशकों की नियुक्त सरकार करती है और यह तेल मिनिस्ट्री के तहत काम करती है। इस नियंत्रण के चलते पिछले साल जब रूस-यूक्रेन की लड़ाई गहरा रही थी और इसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर दिख रहा था, यहां इंडियन ऑयल, एचपी और बीपी ने इसका भार आम ग्राहकों पर नहीं पड़ने दिया। इसके चलते इन तीनों तेल कंपनियों को कुल मिलाकर अप्रैल-सितंबर 2022 में 21,201.18 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ।
नेट जीरो और एनर्जी ट्रांजिशन को लेकर क्या है प्लान
पिछले साल तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने स्कोप 1 यानी सीधे कंपनी की तरफ से और स्कोप 2 यानी एनर्जी या कूलिंग खरीदारी से होने वाले उत्सर्जन को जीरो करने का लक्ष्य तय किया। BPCL और HPCL ने 2040 तक ऐसा करने का लक्ष्य रखा है तो इंडियन ऑय़ल ने 2046 तक। वहीं एनर्जी ट्रांजिशन के लक्ष्य के तहत बीपीसीएल 2025 तक अपने रिन्यूएबल पावर जेनेरेशन पोर्टफोलियो को 50 मेगावॉट से बढ़ाकर 1 गीगावॉट और 2040 तक 10 गीगावॉट करने का लक्ष्य रखा है।
इंडियन ऑयल भी अपने रिन्यूएनबल एनर्जी पोर्टफोलियो को मौजूदा 238 मेगावॉट से बढ़ाने और अगले तीन साल में ईवी चार्जिंग स्टेशन की संख्या मौजूदा 1900 से बढ़ाकर 10 हजार करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा दोनों कंपनियों का लक्ष्य 2025 तक देश भर में अपने पेट्रोल में औसतन 20 फीसदी एथेनॉल मिलाने का है, जो जून 2022 में हासिल किए गए 10 फीसदी के स्तर से ऊपर है। इसके अलावा इनकी योजना ग्रीन हाईड्रोजन प्लांट्स बनाने की है।