Google Project Suncatcher : दुनियाभर की AI कंपनियां डेटा सेंटर के लिए बिजली की चुनौती से जूझ रही हैं, लेकिन गूगल इस रेस में एक कदम आगे निकल गया है। गूगल अब अंतरिक्ष में ही AI कंप्यूटिंग सिस्टम बनाने जा रहा है, जिसे सूरज की रोशनी से पावर मिलेगी। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने ‘प्रोजेक्ट सनकैचर’ के तहत किए गए एक सफल परीक्षण की जानकारी दी है।
क्या है प्रोजेक्ट सनकैचर?
सुंदर पिचाई ने बताया कि गूगल ने लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में पाए जाने वाले रेडिएशन के बीच ट्रिलियम-जनरेशन टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट्स (TPUs) का सफल परीक्षण किया है। यह ‘प्रोजेक्ट सनकैचर’ के लिए एक बड़ी सफलता है। इस महत्वाकांक्षी योजना का मकसद अंतरिक्ष में एक AI कंप्यूटिंग सिस्टम का सेटअप लगाना है, जो सीधे सूरज की रोशनी से मिली सोलर पावर पर चलेगा।
TPUs क्या हैं और यह टेस्ट क्यों?
गूगल सीईओ के मुताबिक, TPUs खास तरह की चिप्स हैं, जिन्हें AI के कामों को बेहतर बनाने के लिए ही डिजाइन किया गया है। इन चिप्स की टेस्टिंग खतरनाक रेडिएशन के बीच की गई और इन पर डैमेज का कोई निशान नहीं मिला। यह सफल टेस्टिंग एक पॉजिटिव साइन है कि गूगल का हार्डवेयर अंतरिक्ष के खतरनाक माहौल (हाई रेडिएशन और तेजी से बदलते तापमान) का सामना कर सकता है।
इस प्रोजेक्ट की जरूरत क्यों पड़ी?
दरअसल, ChatGPT, Gemini और Claude जैसे बड़े AI मॉडल्स को चलाने के लिए बहुत ज्यादा बिजली की जरूरत पड़ती है। धरती पर यह बिजली बनाने के लिए कोयला या गैस का इस्तेमाल करने से भारी प्रदूषण होता है। इसलिए, गूगल ने इसका तोड़ निकालते हुए अंतरिक्ष में सोलर पावर से चलने वाला डेटा सेंटर लगाने का यह प्लान बनाया है। इस प्रोजेक्ट की प्रेरणा गूगल को ‘मूनशॉट’ प्रोजेक्ट (अब अल्फाबेट की X डिवीजन) से मिली है।
2027 तक लॉन्च होंगे प्रोटोटाइप
सुंदर पिचाई ने बताया कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 2027 की शुरुआत तक गूगल, ‘Planet’ कंपनी के साथ मिलकर अपने दो प्रोटोटाइप सैटेलाइट भी लॉन्च करेगा।
मुख्य बातें (Key Points):
- गूगल ‘प्रोजेक्ट सनकैचर’ के तहत अंतरिक्ष में AI डेटा सेंटर बना रहा है।
- लो अर्थ ऑर्बिट में AI चिप्स (TPUs) का रेडिएशन टेस्ट सफल रहा है।
- इन डेटा सेंटर्स को सूरज की रोशनी (सोलर पावर) से बिजली दी जाएगी।
- 2027 तक दो प्रोटोटाइप सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है।






