नई दिल्ली,10 अक्टूबर (The News Air): टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का बुधवार रात मुंबई में निधन हो गया. वे उद्योग जगत के एक दिग्गज थे, जिनका भारत के उद्योगपतियों द्वारा काफी सम्मान और प्रशंसा की जाती थी. इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति भी इनमें शामिल हैं. कुछ साल पहले मूर्ति ने टाईकॉनमुंबई हॉल ऑफ फ़ेम पुरस्कार समारोह में रतन टाटा को लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया था. सबसे ख़ास बात थी कि इस दौरान मूर्ति ने पुरस्कार देने के बाद रतन टाटा के पैर छुए.
भारतीय संस्कृति में किसी के पैर छूना सम्मान के तौर पर देखा जाता है और मूर्ति के इस कदम की सोशल मीडिया पर सराहना की गई थी. समारोह में रतन टाटा को सम्मानित करते हुए मूर्ति ने कहा कि एक मानवतावादी, एक उद्योगपति, एक परोपकारी और एक आदर्श सज्जन के बारे में कोई क्या कह सकता है? मैं बस इतना कह सकता हूं कि मैं उनके नक्शेकदम पर चलने का सौभाग्य और सम्मान महसूस करता हूं. यह कहते हुए कि टाटा ने व्यवसाय शब्द को बहुत सम्मान दिलाया है.
मूर्ति ने कहा कि मुझे लगता है कि यहां एकत्रित सभी उद्यमियों को उनके जैसे ही क्लब में शामिल होने के योग्य होना चाहिए. रतन टाटा को सम्मानित करने वाले लोग खुद सम्मानित हैं. उन्हें (रतन टाटा को) दुनिया भर के देशों और संस्थानों से अनगिनत सम्मान मिले हैं. यह सूची बहुत लंबी है. मैं बस इतना कह सकता हूं कि उन्हें सम्मानित करके उन्होंने खुद को सम्मानित किया है.
बता दें कि रतन टाटा का बुधवार रात करीब 11 बजे ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. उन्होंने न केवल टाटा समूह को नया रूप दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय उद्योग के लिए नए मानक भी स्थापित किए. उनके कार्यकाल के दौरान, समूह के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 1991 में $4 बिलियन से बढ़कर 2012 तक $100 बिलियन से अधिक हो गई, जब वे रिटायर्ड हुए, जिससे यह ऐसा मील का पत्थर हासिल करने वाला पहला भारतीय समूह बन गया था.
टाटा के नेतृत्व में टाटा संस ने समूह की कंपनियों पर अपना नियंत्रण मजबूत किया, जिसके तहत उन्हें टाटा ब्रांड का उपयोग करने के लिए रॉयल्टी का भुगतान करना पड़ा. उन्होंने समूह के विस्तार को दूरसंचार और यात्री कारों जैसे नए क्षेत्रों में आगे बढ़ाया और इंडिका, भारत की पहली स्वदेशी कार, नैनो, दुनिया की सबसे सस्ती गाड़ी और जिंजर, एक बजट होटल सीरीज जैसी ऐतिहासिक परियोजनाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अतिरिक्त उन्होंने 60 से अधिक अधिग्रहणों की देखरेख की, जिससे समूह की पहुंच बढ़ी. उनके मार्गदर्शन में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ सार्वजनिक हुई और ऐसा करने वाली एकमात्र प्रमुख टाटा कंपनी बन गई.