Mallikarjun Kharge: संसद में बुधवार को Dollar vs Rupee गिरावट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने बहस के दौरान BJP सांसद नीरज शेखर (Neeraj Shekhar) को लेकर एक विवादित टिप्पणी कर दी, जिससे सदन में हंगामा मच गया।
क्या कहा Mallikarjun Kharge ने? संसद में क्यों हुआ हंगामा?
खरगे सदन में डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये (Rupee Depreciation) पर बोल रहे थे, तभी बीच में भाजपा सांसद नीरज शेखर (Neeraj Shekhar) बोल पड़े। इससे नाराज होकर खरगे ने उन्हें चुप बैठने के लिए कहा और साथ ही एक विवादित टिप्पणी कर दी।
उन्होंने कहा: “तेरा बाप का भी मैं ऐसा साथी था। तू क्या बात करता है? तुझको लेकर घूमा। चुप, चुप, चुप बैठ!”
नीरज शेखर, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) के बेटे हैं और समाजवादी विचारधारा से जुड़े रहे हैं। उनकी गिनती बड़े राजनीतिक नेताओं में होती है।
सभापति ने क्या कहा? Chandrashekhar का जिक्र क्यों हुआ?
खरगे की टिप्पणी के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने दखल देते हुए कहा: “चंद्रशेखर जी इस देश के बड़े नेताओं में से एक हैं। उनके सम्मान को मापा नहीं जा सकता।”
सभापति ने खरगे से टिप्पणी वापस लेने को कहा, जिस पर खरगे ने सफाई देते हुए कहा: “आपके पिता मेरे साथी थे, और हम साथ गिरफ्तार हुए थे। इसलिए मैंने कहा कि आपके पिता मेरे साथी थे।”
कांग्रेस ने BJP पर पलटवार किया – “Manmohan Singh का अपमान कौन भूल सकता है?”
खरगे ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए BJP पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के अपमान का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा: “जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब किसी ने कहा कि वह नहाते समय रेनकोट पहनते हैं। किसी ने कहा कि वह बोलते नहीं हैं। उन्हें मौनी बाबा कहा गया। इतनी अपमानजनक बातें हुईं, लेकिन उन्होंने धैर्य रखा। अपमान करना BJP की आदत है, हमारी नहीं।”
नीरज शेखर कौन हैं? BJP में कब आए?
नीरज शेखर (Neeraj Shekhar) पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) के बेटे हैं। वह पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party – SP) में थे, लेकिन 2019 में BJP में शामिल हो गए।
क्या यह विवाद बढ़ेगा? कांग्रेस और BJP में टकराव जारी
खरगे की टिप्पणी के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच तनाव बढ़ गया है। यह देखना होगा कि BJP इस मुद्दे को कितना आगे ले जाती है और चुनावी रणनीति में इसे कैसे भुनाती है।