Fear Factor in Global War – बीते तीन वर्षों से दुनिया दो बड़े युद्धों का गवाह बन चुकी है, और इन युद्धों की जड़ में है सिर्फ एक वजह – डर (Fear)। फरवरी 2022 में रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर हमला किया और युद्ध की शुरुआत कर दी, जो अब तक थमा नहीं है। इसी दौरान 7 अक्तूबर 2023 को हमास (Hamas) ने इजरायल (Israel) पर बड़ा हमला किया, जिसके बाद से गाजा (Gaza) पर इजरायल का भीषण हमला जारी है। इन दो मोर्चों पर अब तक लगभग 60 हजार लोग जान गंवा चुके हैं।
अब तक इन दोनों युद्धों का पटाक्षेप नहीं हुआ था कि एक और बड़ा युद्ध शुरू हो गया – ईरान (Iran) और इजरायल (Israel) के बीच। वर्तमान में यह जंग अपने पांचवें दिन में है और तेहरान (Tehran) से लेकर तेल अवीव (Tel Aviv) तक बमबारी हो रही है। अब तक ईरान में लगभग 300 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 20 टॉप आर्मी कमांडर और सेना प्रमुख भी शामिल हैं। इजरायल में भी मिसाइल हमलों में करीब 20 नागरिक मारे गए हैं और राजधानी तेल अवीव में कई इमारतें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत भी “फियर फैक्टर” से हुई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को आशंका थी कि यूक्रेन (Ukraine) जल्द ही नाटो (NATO) का हिस्सा बन सकता है। यदि ऐसा होता तो अमेरिका (USA) और पश्चिमी देशों की सेनाएं रूस की सीमाओं तक पहुंच सकती थीं। रूस ने शर्त रखी कि यूक्रेन नाटो में शामिल न हो, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति लगातार नाटो सदस्यता की मांग करते रहे। यह तनाव बढ़ता गया और अंततः जंग का रूप ले लिया।
रूस को फिनलैंड (Finland), नॉर्वे (Norway), एस्टोनिया (Estonia), लातविया (Latvia), और पोलैंड (Poland) जैसे नाटो सदस्य देशों से खतरा है, क्योंकि ये सभी देश रूस के पड़ोसी हैं और नाटो की सैन्य उपस्थिति इन सीमाओं को अस्थिर कर सकती है। यही डर रूस के आक्रमण का कारण बना।
इसी तरह ईरान और इजरायल की जंग का कारण भी “फियर फैक्टर” ही है। अमेरिका पहले से ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर आशंकित है। यदि ईरान परमाणु शक्ति बन जाता है, तो वह रूस और चीन (China) के समर्थन से अमेरिका के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। यही वजह है कि इजरायल ने ईरान पर हमला किया और ऐसा माना जाता है कि अमेरिका की भी इसमें सहमति है। इसके पीछे रणनीति यह है कि ईरान को दबाव में लाकर वार्ता के लिए मजबूर किया जा सके।
इन दोनों वैश्विक युद्धों में जो चीज समान है, वह है डर – Fear Factor। यही वह मानसिकता है जिसने हजारों लोगों की जान ली, लाखों को विस्थापित किया और वैश्विक बाजारों को हिला कर रख दिया। तेल की कीमतों में उछाल से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक, हर क्षेत्र पर इन युद्धों का असर साफ देखा जा सकता है।