नई दिल्ली 12 जनवरी (The News Air) 76वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर देशभर के किसान अपनी आवाज बुलंद करने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से लोकतंत्र का सम्मान करने और किसानों के मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सभी किसान संगठनों से 26 जनवरी 2025 को ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और वाहन परेड निकालने का आह्वान किया है।
यह परेड न केवल किसानों की एकता का प्रदर्शन होगी, बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), कर्ज माफी, और बिजली के निजीकरण जैसे मुद्दों पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करेगी।
परेड का उद्देश्य और मुख्य मांगें : एसकेएम (SKM) ने 26 जनवरी को देशभर में जिला और उपमंडल स्तर पर परेड के माध्यम से प्रधानमंत्री से निम्नलिखित मांगें करने का आह्वान किया है:
जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) की जान बचाएं।
किसान-विरोधी राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति (NPFAM) को वापस लें।
MSP पर कानून बनाएं।
किसानों और खेत मजदूरों के कर्ज माफी के लिए योजना बनाएं।
बिजली का निजीकरण और स्मार्ट मीटर योजना बंद करें।
300 यूनिट तक मुफ्त बिजली की व्यवस्था करें।
2013 का भूमि अधिग्रहण कानून (LARR Act) लागू करें।
प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप : एसकेएम ने प्रधानमंत्री मोदी के असंवेदनशील और सत्तावादी रवैये की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि:
- कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने के लिए किसानों और मजदूरों की आजीविका को दांव पर लगाया जा रहा है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने में असफलता, किसानों और युवाओं के हितों की अनदेखी को दर्शाती है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह भारत के संघीय ढांचे और संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
एसकेएम की योजना
एनपीएफएएम का विरोध: एसकेएम की सभी राज्य समन्वय समितियां (SCC) जल्द बैठक करेंगी और राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति (NPFAM) की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन करेंगी।
महत्वपूर्ण बैठक: एसकेएम (एनपी) और केएमएम (KMM) के साथ एक समन्वय बैठक 13 जनवरी को पाट्रान (Patran) में आयोजित की जाएगी।
आंदोलन का महत्व : 46 दिन से अधिक समय से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं। किसानों का कहना है कि यह समय सरकार के रवैये को चुनौती देने और अपनी मांगों को मजबूती से रखने का है।
26 जनवरी 2025 का यह प्रदर्शन न केवल किसानों की मांगों को सामने लाने का प्रयास है, बल्कि लोकतंत्र और संविधान के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक मजबूत कदम भी है। क्या प्रधानमंत्री मोदी इन मांगों को सुनेंगे और किसानों को राहत देंगे? यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।