Election Commission Summons Punjab DGP Gaurav Yadav : शिरोमणि अकाली दल की शिकायत पर भारत के चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपना लिया है। तरनतारन उपचुनाव में अकाली वर्करों पर हुए 9 से ज्यादा कथित झूठे पर्चों के मामले में पंजाब पुलिस की जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर चुनाव आयोग ने अब DGP गौरव यादव को 25 नवंबर को दिल्ली तलब कर लिया है।
आयोग ने डीजीपी को मामले से जुड़े पूरे रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई अकाली दल द्वारा लगाए गए उन आरोपों के बाद हुई है, जिनमें कहा गया था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार के दबाव में पुलिस ने अकाली नेताओं और वर्करों पर धड़ाधड़ झूठे केस दर्ज किए।
पंजाब पुलिस की रिपोर्ट से नाखुश आयोग
इससे पहले, इन्हीं शिकायतों पर आयोग ने कड़ा एक्शन लेते हुए तरनतारन की तत्कालीन एसएसपी रवजोत कौर गरेवाल को मुअत्तल (सस्पेंड) कर दिया था।
इसके बाद आयोग ने डीजीपी गौरव यादव को 36 घंटे के भीतर मामले की निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। डीजीपी ने यह जांच स्पेशल डीजीपी रैंक के अधिकारी राम सिंह को सौंपी थी।
सूत्रों के मुताबिक, इस जांच रिपोर्ट में पंजाब पुलिस के अधिकारियों और खासकर रवजोत कौर गरेवाल को क्लीन चिट दे दी गई थी। आयोग पंजाब पुलिस की इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ, जिसे पक्षपाती माना गया।
आयोग ने DGP को ही बुला लिया
जांच रिपोर्ट में निष्पक्षता की कमी और दी गई क्लीन चिट से नाखुश होकर ही चुनाव आयोग ने अब पंजाब पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी, डीजीपी गौरव यादव, को ही दिल्ली तलब करने का फैसला किया है।
डीजीपी को अब 25 नवंबर को आयोग के सामने यह स्पष्टीकरण देना होगा कि किन सबूतों के आधार पर ये मामले दर्ज किए गए, जिन्हें अकाली दल “झूठे” बता रहा है।
अकाली दल ने की थी 9 झूठे पर्चों की शिकायत
अकाली दल ने आरोप लगाया था कि उपचुनाव के दौरान पंजाब पुलिस ने सिर्फ अकाली वर्करों को ही निशाना बनाया। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी कहा था कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस वर्करों पर कोई कार्रवाई हुई, सिर्फ अकाली नेताओं को ही टारगेट किया गया।
पार्टी ने नौ से अधिक ऐसी एफआईआर की सूची दी थी, जिन्हें राजनीति से प्रेरित और झूठा बताया गया।
चुनाव आब्जर्वर ने भी पाई थी धांधली
आयोग द्वारा नियुक्त पुलिस आब्जर्वर और उड़ीसा काडर के आईपीएस अधिकारी शाइनी ने भी अपनी रिपोर्ट में धांधली की पुष्टि की थी।
आब्जर्वर ने कहा था कि सिर्फ तरनतारन ही नहीं, बल्कि पड़ोसी जिलों जैसे मोगा, अमृतसर और बटाला में भी अकाली नेताओं के साथ धक्केशाही हुई और पुलिस की भूमिका निष्पक्ष नहीं रही। इसी रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी रवजोत कौर को सस्पेंड किया गया था।
डॉ. चीमा ने की थी नई शिकायत
ताजा घटनाक्रम में, अकाली दल के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने आयोग को दो पन्नों की एक और विस्तृत शिकायत भेजी थी।
इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी, यानी आचार संहिता लागू रहने के दौरान, अकाली वर्करों पर झूठे पर्चे दर्ज किए जा रहे हैं।
शिकायत में एक एफआईआर (नंबर 0261) का जिक्र किया गया, जो 15 नवंबर 2025 को दर्ज की गई, जबकि चुनाव आचार संहिता 16 नवंबर 2025 तक लागू थी। यह एक काउंटर-केस था। अकाली दल का आरोप है कि उन्होंने 6 नवंबर को पुलिस द्वारा उनकी उम्मीदवार की बेटी का पीछा करने की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टा शिकायतकर्ताओं पर ही पर्चा दर्ज कर दिया।
जानें पूरा मामला
यह पूरा विवाद तरनतारन उपचुनाव से जुड़ा है। अकाली दल का आरोप रहा है कि पंजाब सरकार और पुलिस ने मिलकर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरमीत सिंह संधू को जिताने के लिए पुलिस मशीनरी का दुरुपयोग किया। किसी राज्य के डीजीपी को चुनाव आयोग द्वारा इस तरह तलब करना एक असाधारण कदम है, जो मामले की गंभीरता को दर्शाता है। इससे पहले 2002-2007 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान भी चुनाव आयोग ने तत्कालीन डीजीपी एस.एस. विर्क को हटा दिया था।
मुख्य बातें (Key Points)
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तरनतारन उपचुनाव में कथित झूठे पर्चों के मामले में चुनाव आयोग ने पंजाब DGP गौरव यादव को 25 नवंबर को तलब किया है।
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आयोग पंजाब पुलिस द्वारा SSP रवजोत गरेवाल को दी गई क्लीन चिट वाली जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट है।
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अकाली दल ने 9 से ज्यादा झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया था, जिसकी पुष्टि पुलिस आब्जर्वर की रिपोर्ट ने भी की थी।
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अकाली दल ने चुनाव के बाद भी आचार संहिता के दौरान झूठे पर्चे (FIR No. 0261) दर्ज करने की नई शिकायत की थी।






