कांवड़ मार्ग में ‘नाम’ पर बिहार तक बवाल
बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि नाम प्रदर्शित करने में कोई बुराई नहीं है। बचौल ने कहा, ‘अगर आपका कोई व्यवसाय है, तो अपना नाम प्रदर्शित करने में क्या हर्ज है? बिहार सरकार को भी यूपी सरकार की तरह कांवड़ मार्ग पर आदेश लागू करना चाहिए।’ इससे एक दिन पहले, JDU नेता केसी त्यागी ने कहा था कि बिहार में कांवड़ मार्ग काफी बड़ा होने के बावजूद, राज्य ने कभी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है।
जीतन राम मांझी ने भी कसा था नीतीश कुमार पर तंज
हाल ही में पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर तंज कसा। मांझी ने कहा कि 2015 में जब उन्होंने कुमार की JDU से नाता तोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी, तब कुमार ने उनका मजाक उड़ाया था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा, ‘उन्होंने (कुमार) ने कहा था कि मेरे पास पैसे नहीं हैं और मैं पार्टी नहीं चला सकता। आज मेरी पार्टी न केवल काम कर रही है, बल्कि बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है।’
मांझी ने यह भी याद दिलाया कि कैसे 2023 में कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी का JDU में विलय करने या NDA छोड़ने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, ‘मैं बीजेपी और नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। मैं न केवल NDA में शामिल हुआ, बल्कि मेरा बेटा संतोष कुमार सुमन तीन विभागों के साथ MLC और मंत्री बना, जो JDU ने मुझे पहले जो पेशकश की थी, उससे कहीं अधिक है।’ हालांकि, मांझी ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि वह नीतीश कुमार के आभारी हैं और भविष्य में उनके खिलाफ कभी एक शब्द भी नहीं कहेंगे।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने पर अड़ी है जेडीयू
बिहार को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर JDU न केवल अपने पुराने रुख पर कायम है, बल्कि केंद्र सरकार के सामने लगातार यह मांग उठा रही है। दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा बिहार को ज्यादा दिया है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ‘बिहार के विकास के लिए जो भी जरूरी होगा, प्रधानमंत्री मोदी राज्य को देंगे। उन्होंने अतीत में बिहार को विशेष पैकेज दिया है और बिहार उनकी प्राथमिकता में है।’
JDU सूत्रों के अनुसार, बिहार के प्रमुख सचिव (ऊर्जा) संजीव हंस से जुड़े परिसरों पर छापेमारी के बाद, JDU के एक वरिष्ठ मंत्री ने बिहार के एक उपमुख्यमंत्री को फोन किया और चेतावनी दी कि इस तरह के छापे अच्छे नहीं हैं और इससे सहयोगियों के बीच मतभेद पैदा हो सकते हैं। बता दें कि बिहार में दोनों उपमुख्यमंत्री बीजेपी से हैं।