नई दिल्ली,20 नवंबर (The News Air): मुहावरे भारतीय भाषाओं की वो जादुई चाभी हैं, जो हमारे शब्दों में गहराई और प्रभाव जोड़ते हैं। चाहे रोजमर्रा की बातचीत हो या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, मुहावरों का सही उपयोग हमें भीड़ से अलग पहचान दिला सकता है। क्या आप जानते हैं? मुहावरे सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि हमारे समाज और संस्कृति का आइना होते हैं। इनका मतलब अक्सर सीधा न होकर सांकेतिक होता है, जो हमारी भाषा को चुटीला और रोचक बना देता है। यहां जानिए ऐसे कठिन और क्षेत्रीय मुहावरे और उनके अर्थ, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं। इनके विस्तृत अर्थ और उपयोग से आप न केवल अपनी भाषा को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि अपनी परीक्षा की तैयारी में भी एक कदम आगे रहेंगे।
मुहावरा- “जैसे को तैसा देना” (उत्तर भारत)
मुहावरे का अर्थ: जैसा व्यवहार मिले, वैसा ही जवाब देना। यह मुहावरा बदले की भावना को व्यक्त करता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई आपके साथ अनुचित व्यवहार करता है, तो आप भी उसी तरीके से जवाब देंगे। यह सही या गलत के आधार पर नहीं बल्कि समान प्रतिक्रिया के सिद्धांत पर आधारित है।
मुहावरा- “अक्ल बड़ी या भैंस” (पूर्वांचल)
मुहावरे का अर्थ: ताकत से ज्यादा बुद्धि का महत्व। इस मुहावरे में दिखाया गया है कि किसी भी समस्या का समाधान ताकत से नहीं बल्कि समझदारी और सूझबूझ से निकाला जा सकता है। यह उन स्थितियों में उपयोग होता है जहां शारीरिक बल की जगह बुद्धि से काम लेना चाहिए।
मुहावरा- “घी के दिए जलाना” (राजस्थान)
मुहावरे का अर्थ: खुशी के मौके पर उत्सव मनाना। यह मुहावरा शुभ अवसरों और आनंद के पलों को व्यक्त करता है। जैसे शादी, बच्चे का जन्म, या किसी बड़ी सफलता के समय, इसे कहा जाता है। इसका आशय है कि अपने हर्षोल्लास को बढ़-चढ़कर व्यक्त करना।
मुहावरा- “आधा तीतर, आधा बटेर” (बिहार)
मुहावरे का अर्थ: आधा-अधूरा या बेमेल काम। जब कोई काम पूरी तरह से न किया गया हो या दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की कोशिश की जाए, तो यह मुहावरा उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति एक तरफ गांव के रीति-रिवाज अपनाता है और दूसरी तरफ शहरी तरीके से व्यवहार करता है, तो इसे ‘आधा तीतर, आधा बटेर’ कहा जाता है।
मुहावरा- “दो नावों की सवारी” (उत्तर प्रदेश)
मुहावरे का अर्थ: एक साथ दो काम करने की कोशिश करना और असफल होना। यह मुहावरा उन स्थितियों के लिए उपयुक्त है जब कोई व्यक्ति एक साथ दो विपरीत या असंगत काम करने की कोशिश करता है, लेकिन किसी में भी सफलता नहीं मिलती। जैसे, नौकरी के साथ व्यवसाय करने की कोशिश करना और दोनों में समय प्रबंधन न कर पाना।
मुहावरा- “सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखता है” (हरियाणा)
मुहावरे का अर्थ: अपनी स्थिति के अनुसार ही चीजों को देखना। जब किसी व्यक्ति की सोच या दृष्टिकोण सीमित हो, तो वह हर स्थिति को अपनी मनोदशा या लाभ के अनुसार देखता है। उदाहरण के लिए, एक खुश व्यक्ति हर चीज में अच्छाई देखता है, जबकि दुखी व्यक्ति हर चीज में कमी।
मुहावरा- “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले” (पंजाब)
मुहावरे का अर्थ: खुद दोषी होकर दूसरों पर आरोप लगाना। जब कोई व्यक्ति, जिसके अपने भीतर कई कमियां हैं, दूसरों पर उन्हीं कमियों के लिए आरोप लगाता है, तो यह मुहावरा कहा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक आलसी व्यक्ति दूसरे को आलसी कहे, तो इसे उपयुक्त माना जाएगा।