नई दिल्ली 16 फरवरी (The News Air): राहुल गांधी चाहते थे किसी और को, लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने जोर लगाया तो किसी और को मिल गया टिकट। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की चाहत पर दो दिग्गज नेताओं की पसंद को तवज्जो राज्यसभा चुनाव में दी गई है। राहुल चाहते थे कि मध्य प्रदेश से राज्यसभा का एक टिकट वरिष्ठ नेता मीनाक्षी नटराजन को दिया जाए, लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने अपना पूरा दम अशोक सिंह के पीछे लगा दिया। आखिरकार, मनीक्षी नटराजन का टिकट काटकर अशोक सिंह को ही राज्यसभा की उम्मीदवारी दी गई। ऐसा तब हुआ जब केंद्रीय नेतृत्व ने राहुल गांधी की विश्वासपात्र और पूर्व सांसद मनीक्षा नटराजन का ही समर्थन किया था।
दो धाकड़ों ने अशोक सिंह के पीछे लगा दिया जोर और…अशोक सिंह की प्रोफाइल दिलचस्प है क्योंकि उन्हें ग्वालियर से लगातार चार लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद, उनके समर्थकों का तर्क है कि वह एक कड़े मुकाबले वाले निर्वाचन क्षेत्र में कम अंतर से दूसरे स्थान पर आए थे। हालांकि, उनके पक्ष में काम करने वाली बात यह थी कि उन्होंने पार्टी के काफी अंदरूनी व्यक्ति रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया का कड़ा विरोध किया था, यह नटराजन पर उन्हें प्राथमिकता दिए जाने की एक प्रमिुख वजह बनी। सिंधिया के बाहर निकलने और हालिया विधानसभा चुनावों में प्रमुख नेताओं की हार के बाद पार्टी अब ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अपनी धाक फिर से जमाने की जुगत में है। इसके अतिरिक्त, अशोक सिंह का ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) होना भी काम कर गया।
कमलनाथ ने दिग्विजय खेमे के नेता का समर्थन क्यों किया? : मजे की बात है कि अशोक सिंह को दिग्विजय सिंह का वफादार माना जाता है, लेकिन कमलनाथ ने भी उनका समर्थन कर दिया। कहा जा रहा है कि चूंकि कमलनाथ खुद राज्यसभा जाना चाहते थे, लेकिन जब उनकी उम्मीदवारी को केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी नहीं मिली तो उन्होंने अशोक सिंह को आगे कर दिया। कमलनाथ के खेमे का सूत्र दावा करते हैं कि दरअसल कमलनाथ ने ही दिग्विजिय सिंह को अशोक सिंह का नाम सुझाया और वो सहमत हो गए।
राहुल गांधी की कैंडिडेट को मिला था केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन, लेकिन…दूसरी ओर, राहुल गांधी ने संसद के उच्च सदन के लिए मीनाक्षी नटराजन को प्राथमिकता दी। नटराजन ने पहले 2009 में मंदसौर लोकसभा सीट जीती थी, लेकिन उसके बाद से उन्हें लगातार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। एक सहयोगी के रूप में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर राहुल के दिल के करीब परियोजनाओं की देखरेख की है।
आखिर तक लड़ते रहे कमलनाथ और राहुल पर मिल गई जीत : हालांकि, कमलनाथ नटराजन के नामांकन का अंत तक विरोध करते रहे। जब उन्होंने पार्टी नेतृत्व के साथ अपनी अंतिम बातचीत में हार मानने से इनकार कर दिया तो ऐसा लगता है कि पार्टी अंततः राज्यसभा पद के लिए उम्मीदवार के रूप में अशोक सिंह पर सहमत हो गई। नाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करने के बाद पार्टी नेतृत्व ने पहले ही एमपी कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और विधायक दल के नेता उमंग सिंघार की नियुक्ति में अपना प्रभाव जता दिया था। हालांकि, इस विशेष उदाहरण से ऐसा लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व कमलनाथ को एक हद के बाद नाराज नहीं करना चाहता है।