Natural Roof Cooling Technique : गर्मी के मौसम में Natural Roof Cooling Technique यानी प्राकृतिक तरीके से छत को ठंडा रखने की तकनीक एक बार फिर चर्चा में है। जैसे ही अप्रैल (April) खत्म होता है, मई (May) और जून (June) की झुलसाती दोपहरें लोगों को परेशान कर देती हैं। तेज धूप (Intense Sunlight) और 45 डिग्री तापमान (45°C Temperature) में घर के अंदर भी गर्मी का असर बना रहता है। ऐसे में कूलर और एसी (AC) भले ही कुछ राहत दें, लेकिन बिजली का खर्च लोगों की जेब पर भारी पड़ता है। इसी वजह से देसी और प्राकृतिक तकनीकों की ओर लोग एक बार फिर रुख कर रहे हैं।
ऐसी ही एक असरदार और चर्चित तकनीक है मिट्टी के घड़ों (Clay Pots) या कुल्हड़ों (Kulhads) से बनी छत। जब घर बनवाया जाता है, उस वक्त इन घड़ों को उल्टा करके छत में इस तरह फिट किया जाता है कि उनके बीच की जगह को सीमेंट (Cement) से भर दिया जाता है। इस तकनीक से न सिर्फ कूलिंग इफेक्ट मिलता है, बल्कि छत की लागत भी घटती है क्योंकि इसमें कंक्रीट (Concrete) की खपत कम होती है।
मिट्टी के घड़ों के अंदर हवा के छोटे-छोटे पॉकेट्स बन जाते हैं जो इन्सुलेशन (Insulation) का काम करते हैं। ये एयर पॉकेट्स गर्मी को घर के अंदर नहीं आने देते और तापमान को संतुलित बनाए रखते हैं। इस वजह से न तो गर्मियों में घर बहुत गरम होता है और न सर्दियों में बहुत ठंडा।
इतना ही नहीं, हरियाणा (Haryana) के हिसार (Hisar) शहर के आर्किटेक्ट गोकुल गोयल (Gokul Goyal) ने अपने घर की छत पर 7000 कुल्हड़ (Kulhads) लगाकर ये प्रयोग किया। बाहर जहां तापमान 45 डिग्री था, वहीं उनके घर के अंदर बिना किसी एसी के ठंडक बनी रही। ये तरीका थर्माकोल (Thermocol) की सीलिंग की तरह काम करता है और प्राकृतिक रूप से घर को ठंडा रखता है।
यह देसी जुगाड़ ना सिर्फ लागत में किफायती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। इससे बिजली की खपत कम होती है और घर की प्राकृतिक हवा बरकरार रहती है। अगर आप भी गर्मी में बिजली का बिल घटाना चाहते हैं और बिना मशीनों के ठंडक का आनंद लेना चाहते हैं, तो ये पारंपरिक तरीका आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त हो सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी हेतु है। कृपया किसी भी निर्माण कार्य से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श लें।