Delhi Shakur Basti Renaming Campaign को लेकर राजधानी दिल्ली (Delhi) में नया विवाद और चर्चा शुरू हो गया है। शकूरबस्ती (Shakur Basti) इलाके के भाजपा विधायक करनैल सिंह (Karnail Singh) ने इस क्षेत्र का नाम बदलकर श्री रामपुरम (Shri Rampuram) रखने के लिए जनमत संग्रह शुरू कर दिया है। करनैल सिंह का दावा है कि यह नाम परिवर्तन लोगों की भावनाओं और मांग के अनुसार किया जा रहा है, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत।
विधायक करनैल सिंह के अनुसार, शकूरबस्ती पहले ‘बस्ती’ के नाम से जानी जाती थी लेकिन अब यह क्षेत्र पूरी तरह से विकसित हो चुका है, जहां बड़ी इमारतें, व्यवस्थित गलियां और बाज़ार हैं। उन्होंने कहा कि यहां के लोग भगवान राम (Lord Ram) से गहरी श्रद्धा रखते हैं और इसी भावना के तहत उन्होंने इस क्षेत्र का नाम श्री रामपुरम करने का निर्णय लिया है।
नाम बदलने की इस प्रक्रिया में करनैल सिंह ने बाकायदा एक जनमत फॉर्म तैयार करवाया है जिस पर जनता से हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं। अब तक इस प्रस्ताव के समर्थन में 60,000 से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। उनका दावा है कि वह लगभग 90 प्रतिशत स्थानीय लोगों का समर्थन जुटाकर सरकार और पार्टी संगठन के समक्ष इस मांग को प्रस्तुत करेंगे।
करनैल सिंह ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि यह सिर्फ आस्था का विषय है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि “लोग श्रीराम के आदर्शों से प्रेरित होकर यह बदलाव चाहते हैं और हमारी विधानसभा को भी उन आदर्शों के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”
दिल्ली में इससे पहले भी कई क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। नजफगढ़ (Najafgarh) से मुस्तफाबाद (Mustafabad) तक कई भाजपा विधायक अपने-अपने क्षेत्रों की ‘इस्लामिक पहचान’ को बदलने की बात कह चुके हैं। लेकिन शकूरबस्ती का मामला इसलिए खास बन गया है क्योंकि यहां पर नाम परिवर्तन के लिए बाकायदा जनमत संग्रह की शुरुआत की गई है, जो एक नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस कदम के दूरगामी सामाजिक और राजनीतिक असर हो सकते हैं, खासकर 2025 के नगर निगम और भविष्य के विधानसभा चुनावों में। हालांकि, करनैल सिंह ने बार-बार स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य केवल स्थानीय जनता की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना है।
अब देखना यह होगा कि क्या शकूरबस्ती वास्तव में भविष्य में श्री रामपुरम के नाम से जानी जाएगी या नहीं, लेकिन इस मुद्दे ने फिलहाल राजधानी की राजनीति में हलचल जरूर मचा दी है।