Delhi Red Fort Blast Dr Umar Shoe Bomb : दिल्ली के लाल किले के पास हुए भयावह धमाके की जांच ने एक चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है। जांच एजेंसियों को एक ऐसा सुराग हाथ लगा है, जिसने पूरी जांच की दिशा बदल दी है। यह सुराग एक मामूली सा दिखने वाला जूता है, जिसके “शू बम” होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
धमाके में 15 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अब इस जांच का केंद्र बिंदु जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा फिदायीन हमलावर डॉक्टर उमर बन गया है।
कार में मिले जूते ने खोला राज
डॉक्टर उमर जिस i20 कार को चला रहा था, उसी में ड्राइवर सीट के नीचे एक जूता दबा मिला। जब फॉरेंसिक टीम ने इसकी जांच की, तो वे हैरान रह गए।
जूते में अमोनियम नाइट्रेट और TATP (ट्राई-एसीटोन ट्राई-परऑक्साइड) के निशान मिले हैं। यह एक बेहद खतरनाक विस्फोटक है, जिसे आतंकी संगठन “शैतान की मां” (Mother of Satan) के नाम से जानते हैं।
‘शैतान की मां’ TATP कितना खतरनाक?
TATP एक ऐसा अस्थिर विस्फोटक है, जो मामूली रगड़, हल्की गर्मी या एक झटके से भी फट सकता है।
जूते में इसकी मौजूदगी ने जांचकर्ताओं के शक को गहरा दिया है कि हमलावर ने “शू बम” का इस्तेमाल किया हो सकता है। शू बम को जूते के अंदर फिट किया जाता है, जिसे किसी तय समय पर या दबाव डालकर सक्रिय किया जा सकता है।
पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स का नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया है कि यह किसी अकेले आतंकी का काम नहीं था, बल्कि इसके पीछे शिक्षित और प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स का एक पूरा नेटवर्क शामिल है।
धमाके से एक घंटे पहले तक डॉक्टर उमर जिन लोगों से संपर्क में था, वे भी डॉक्टर थे। इनमें डॉक्टर परवेज, डॉक्टर मोहम्मद आरिफ और डॉक्टर फारूक अहमद डा के नाम शामिल हैं।
इनमें से डॉक्टर परवेज, फरीदाबाद के अल-फला विश्वविद्यालय से गिरफ्तार किए गए डॉक्टर शाहीन सईद का भाई है। परवेज खुद लखनऊ के इंटीग्रल विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर था।
नेपाल और कानपुर से खरीदे गए फोन-सिम
इस साजिश के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जुड़े हैं। धमाके में इस्तेमाल किए गए मोबाइल और सिम कार्ड दो अलग-अलग जगहों से खरीदे गए थे: कानपुर और नेपाल।
नेपाल से छह पुराने फोन खरीदे गए, जिनके लिए कुल 17 सिम कार्ड का इंतजाम किया गया। हैरानी की बात यह है कि इनमें से छह सिम कार्ड कानपुर के बेकनगंज इलाके से एक ही व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थे।
9 दिनों का रहस्यमयी ‘गैप’
सीबीआई फुटेज की जांच में 29 और 30 अक्टूबर, और फिर 9 और 10 नवंबर के बीच डॉक्टर उमर की मूवमेंट 50 अलग-अलग कैमरों में कैद हुई है। वह फरीदाबाद के विश्वविद्यालय से लेकर दिल्ली के टोल प्लाजा और बाजारों तक नजर आया।
लेकिन इन दो तारीखों के बीच के 9 दिन वह कहां था, किसके साथ था और क्या योजना बना रहा था, यह 9 दिन का गैप अब जांच का सबसे बड़ा रहस्य बन गया है।
क्या है पूरा मामला?
लाल किले के पास हुए इस धमाके ने पूरे देश को दहला दिया था। जांच एजेंसियों को मौके से मिले सुरागों ने इसे एक सुनियोजित आतंकी हमला माना है। यह स्पष्ट है कि हमलावर ने अपने डिजिटल निशान मिटाने की पूरी कोशिश की; धमाके के दिन इस्तेमाल किए गए दोनों फोन गायब हो गए। फिलहाल एजेंसियां जूते, कार, सिम कार्ड और सीसीटीवी फुटेज के जरिए इस गहरी साजिश की परतों को खोलने में जुटी हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली लाल किला ब्लास्ट में “शू बम” के इस्तेमाल का अंदेशा, आतंकी की कार से मिला सुराग।
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जैश आतंकी डॉक्टर उमर की कार में मिले जूते में TATP और अमोनियम नाइट्रेट के निशान मिले।
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TATP को आतंकी संगठन ‘शैतान की मां’ कहते हैं, जो हल्के झटके से भी फट सकता है।
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साजिश में पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स का नेटवर्क शामिल; डॉ. परवेज, डॉ. आरिफ समेत कई डॉक्टरों के नाम।
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धमाके के फोन नेपाल से और सिम कार्ड कानपुर से खरीदे गए थे, जांच में 9 दिन का गैप एक रहस्य बना हुआ है।






