Delhi Assembly Election 2025 – दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बहुमत हासिल कर लिया है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस बीच एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है – दो प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों को जनता ने इतना नकार दिया कि उन्हें NOTA (None of the Above) से भी कम वोट मिले।
किन पार्टियों को NOTA से भी कम वोट मिले?
चुनाव आयोग (Election Commission of India) के आंकड़ों के अनुसार:
- NOTA को कुल 0.57% वोट मिले
- बहुजन समाज पार्टी (BSP) को 0.55% वोट
- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) [CPI(M)] को सिर्फ 0.01% वोट
इसके अलावा, जनता दल यूनाइटेड (JDU) को भी सिर्फ 0.53% वोट ही मिले।
Delhi Election में NOTA का महत्व
दिल्ली में इस बार कुल 60.54% मतदान हुआ, जिसमें करीब 94.51 लाख लोगों ने वोट डाले। वहीं, 1.55 करोड़ से ज्यादा मतदाता सूची में थे। इनमें से कई लोगों ने किसी भी पार्टी को वोट न देने का फैसला लिया और NOTA का इस्तेमाल किया।
क्या है NOTA और क्यों होता है जरूरी?
भारत में NOTA (None of the Above) का विकल्प 2013 में पहली बार लागू किया गया था। इससे पहले, अगर कोई मतदाता किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहता था, तो उसे फॉर्म 49-O भरना पड़ता था, लेकिन इससे उसकी गोपनीयता खतरे में पड़ती थी।
सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के आदेश के बाद, चुनाव आयोग (Election Commission) ने ईवीएम (EVM) पर NOTA बटन जोड़ा। यह बैलेट पेपर पर बने काले क्रॉस के रूप में दिखता है।
हालांकि, अगर किसी चुनाव में NOTA को सबसे ज्यादा वोट भी मिलते हैं, तो भी चुनाव रद्द नहीं होता। मतदान नियम, 1961 के तहत चुनाव आयोग नए सिरे से चुनाव कराने के लिए बाध्य नहीं है।
BSP और CPI(M) को क्यों नहीं मिला जनता का समर्थन?
- BSP (बहुजन समाज पार्टी) का दिल्ली में कमजोर संगठन – पिछले कुछ चुनावों से BSP दिल्ली में मजबूत पकड़ नहीं बना पाई है।
- CPI(M) का राजनीतिक प्रभाव खत्म होना – लेफ्ट पार्टियों का दिल्ली में पहले भी कोई बड़ा जनाधार नहीं रहा है।
- BJP और AAP का सीधा मुकाबला – दिल्ली में चुनाव मुख्य रूप से BJP और AAP के बीच लड़ा गया। ऐसे में छोटी पार्टियों को वोटर्स ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
- NOTA का विकल्प ज्यादा प्रभावी बन रहा है – जनता अब उन पार्टियों को वोट देने की बजाय NOTA का चयन कर रही है, जिन्हें वह पूरी तरह नकार चुकी है।
दिल्ली चुनाव में जहां BJP को बड़ी जीत मिली, वहीं AAP को करारी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि BSP और CPI(M) जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को NOTA से भी कम वोट मिले। यह बताता है कि दिल्ली में अब चुनाव सिर्फ BJP और AAP के बीच ही सीमित रह गया है।
क्या आपको लगता है कि NOTA का वोट प्रतिशत बढ़ने से चुनाव प्रणाली में बदलाव आ सकता है? अपनी राय कमेंट में बताएं!