Delhi Air Pollution Diabetes : दिल्ली-एनसीआर की हवा ‘गैस चैंबर’ बन चुकी है। लाखों लोग इस जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। लेकिन यह प्रदूषण अब सिर्फ आपके फेफड़ों या दिल तक सीमित नहीं है। डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्ट्स ने एक खौफनाक चेतावनी जारी की है कि दिल्ली का यह भयंकर वायु प्रदूषण लोगों को ‘डायबिटीज’ (Type-2 Diabetes) का मरीज बना रहा है।
जी हां, आपने सही सुना। जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं, वह आपका ब्लड शुगर बढ़ा सकती है।
दिल्ली-एनसीआर इन दिनों धुंध और धुएं की एक मोटी चादर में लिपटा हुआ है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में 400 के पार बना हुआ है।
अब तक हम यही जानते थे कि यह जहरीली हवा अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी, स्किन एलर्जी और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाती है। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अब एक ऐसे ‘साइलेंट किलर’ का खुलासा किया है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।
नई रिसर्च और स्टडीज में यह बात साफ तौर पर सामने आ रही है कि वायु प्रदूषण और डायबिटीज के बीच सीधा और खतरनाक रिश्ता है।
‘कैसे हवा से हो रहा है शुगर?’
यह सवाल हर किसी के मन में है कि आखिर हवा में मौजूद गंदगी किसी का ब्लड शुगर कैसे बढ़ा सकती है?
वरिष्ठ डायबिटोलॉजिस्ट और एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. जुजीत सिंह वसीर के मुताबिक, प्रदूषण में “एंडोक्राइन डिसरप्टर्स” (Endocrine Disruptors) नामक खतरनाक कण होते हैं।
जब हम सांस लेते हैं, तो PM 2.5 जैसे बेहद महीन कण सिर्फ फेफड़ों तक नहीं रुकते। ये कण इतने छोटे होते हैं कि वे हमारी खून की नसों (Bloodstream) में दाखिल हो जाते हैं।
‘सीधा पैंक्रियास पर हमला’
जैसे ही ये कण खून में पहुंचते हैं, ये पूरे शरीर में ‘इंफ्लेमेशन’ (अंदरूनी सूजन) और ‘ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस’ पैदा कर देते हैं।
यह सूजन सीधे हमारे पैंक्रियास (Pancreas) पर हमला करती है। पैंक्रियास ही वह अंग है जो इंसुलिन (Insulin) नाम का हॉर्मोन बनाता है, जो हमारे ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
डॉक्टरों का कहना है कि ये कण पैंक्रियास के उन सेल्स को खत्म (Death Cause) कर सकते हैं, जो इंसुलिन बनाते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन का प्रोडक्शन कम हो जाता है।
‘बढ़ रहा ‘इंसुलिन रेजिस्टेंस’ का खतरा’
लेकिन इससे भी बड़ा खतरा ‘इंसुलिन रेजिस्टेंस’ (Insulin Resistance) का है। प्रदूषण के कण शरीर की कोशिकाओं (Cells) को जिद्दी बना देते हैं। वे इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं।
इसका सीधा मतलब है कि आपका शरीर शुगर को कंट्रोल करने की ताकत खोने लगता है और खून में शुगर का लेवल खतरनाक तरीके से बढ़ने लगता है।
‘प्री-डायबिटीज वालों के लिए बड़ा खतरा’
डॉक्टरों का कहना है कि जिन महीनों में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है, उन्हीं महीनों में डायबिटीज के नए मामलों में भी उछाल देखा जा रहा है।
जो लोग ‘प्री-डायबिटिक’ (Pre-diabetic) हैं, यानी डायबिटीज की बॉर्डरलाइन पर हैं, वे इस जहरीली हवा के कारण बहुत तेजी से डायबिटीज के पक्के मरीज बन रहे हैं।
भारत, जो पहले से ही डायबिटीज की राजधानी बनने की कगार पर है, उसके लिए यह एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है।
‘शुगर बढ़ रही है तो सिर्फ डाइट को दोष न दें’
अगर आपका ब्लड शुगर लेवल अचानक ऊपर-नीचे हो रहा है, तो सिर्फ अपनी डाइट या मीठे को दोष न दें। हो सकता है कि इसका असली गुनहगार वह हवा हो, जिसमें आप सांस ले रहे हैं।
यह प्रदूषण न सिर्फ नए मरीजों की संख्या बढ़ा रहा है, बल्कि जो लोग पहले से डायबिटिक हैं, उनका शुगर कंट्रोल भी बिगाड़ रहा है।
प्रदूषण के कारण शरीर में होने वाली सूजन और अनकंट्रोल शुगर मिलकर हार्ट, लिवर और किडनी फेलियर जैसी गंभीर कॉम्प्लिकेशन्स का खतरा भी कई गुना बढ़ा देती हैं।
‘कम उम्र में डायबिटीज का कारण’
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि वायु प्रदूषण (हवा, पानी और खाने में) ही वह बड़ा कारण है, जिसके चलते आजकल 20 से 30 साल के युवाओं में भी टाइप-2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो पहले कभी नहीं देखे जाते थे।
यह एक ऐसी खतरनाक विरासत है, जो जेनेटिक्स के लेवल पर भी बदलाव (EpiGenetics) कर रही है और आने वाली पीढ़ियों में भी डायबिटीज का खतरा बढ़ा रही है।
‘कैसे करें इस दोहरे खतरे से बचाव?’
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जब AQI ‘गंभीर’ या ‘बेहद खराब’ श्रेणी में हो, तो बाहर निकलना खुद को खतरे में डालना है।
बाहर वॉक करना बंद करें: डॉक्टरों ने स्पष्ट सलाह दी है कि इतने खराब मौसम में बाहर जाकर एक्सरसाइज या वॉक न करें। इससे फायदा कम, नुकसान ज्यादा होगा।
घर पर करें एक्टिविटी: इसकी जगह घर के अंदर ही योगा, ऑन-द-स्पॉट जॉगिंग या स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।
N95 मास्क पहनें: अगर बाहर निकलना बहुत जरूरी है, तो साधारण कपड़े वाले मास्क की जगह N95 मास्क का ही इस्तेमाल करें।
डाइट पर दें ध्यान: क्योंकि फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है, इसलिए अपनी डाइट और कैलोरी इंटेक को भी कम करें। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल और सब्जियां (जैसे विटामिन-सी) खाएं।
पानी का सेवन बढ़ाएं: खूब पानी पिएं, ताकि शरीर में बनने वाले जहरीले टॉक्सिन्स यूरिन के जरिए बाहर निकल सकें।
एयर प्यूरीफायर: अगर संभव हो, तो घर और कार में सही क्षमता वाले हेपा फिल्टर (HEPA Filter) एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
‘जानें पूरा मामला’
दिल्ली-एनसीआर हर साल अक्टूबर से जनवरी के बीच पराली जलने, कंस्ट्रक्शन और मौसम के कारण भयंकर वायु प्रदूषण का सामना करता है। इस साल AQI कई दिनों तक 400 के पार रहा है। पहले इसे सिर्फ सांस की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्टडीज ने प्रदूषण और टाइप-2 डायबिटीज के बीच सीधा और खतरनाक संबंध स्थापित कर दिया है, जो इस हेल्थ क्राइसिस को और भी गंभीर बनाता है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
- दिल्ली-एनसीआर का जहरीला प्रदूषण अब टाइप-2 डायबिटीज का भी एक बड़ा कारण बन रहा है।
- PM 2.5 कण खून में मिलकर ‘इंसुलिन रेजिस्टेंस’ पैदा कर रहे हैं, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल से बाहर हो रहा है।
- प्रदूषण के महीनों में डायबिटीज के नए मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, खासकर प्री-डायबिटीज वाले लोग तेजी से मरीज बन रहे हैं।
- एक्सपर्ट्स ने बचाव के लिए N95 मास्क, एयर प्यूरीफायर और स्मॉग में बाहर वॉक न करने की सलाह दी है।






