DDA Old Colonies Redevelopment Plan Delhi : दिल्ली (Delhi) की डीडीए (DDA) की 50 साल से भी पुरानी आवासीय कॉलोनियों को अब फिर से बनाया जाएगा। इस पर एक अहम सिफारिश राज्यपाल वीके सक्सेना (V.K. Saxena) द्वारा गठित सरकारी-उद्योग टास्क फोर्स ने भेजी है, जिसके मुताबिक सैकड़ों कॉलोनियों को फिर से निर्माण की प्रक्रिया में लाया जाएगा। हालांकि, इस पर आखिरी फैसला दिल्ली की रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) सरकार को लेना है। टास्क फोर्स के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर सुरक्षा जांच के बाद इन कॉलोनियों को फिर से निर्माण के लिए चिह्नित किया जाएगा।
टास्क फोर्स के अनुसार, दिल्ली की करीब 30 ऐसी कॉलोनियां हैं जो 50 साल पुरानी हैं और तत्काल पुनर्निर्माण की आवश्यकता रखती हैं। ये कॉलोनियां वर्ष 1957 में विकसित की गई थीं और अब तक लगातार उपयोग में रही हैं। ये कॉलोनियां दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई हैं और वर्तमान में जर्जर अवस्था में हैं।
टास्क फोर्स की रिपोर्ट “दिल्ली को कैसे पुनर्जीवित करें” (How to Revive Delhi) नाम से तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में अन्य सिफारिशों के तहत दिल्ली की कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टीज (Commercial and Industrial Properties) के सर्किल रेट (Circle Rate) को घटाने का सुझाव दिया गया है। टास्क फोर्स का कहना है कि दिल्ली का सर्किल रेट पड़ोसी शहर नोएडा (Noida) और गुरुग्राम (Gurugram) से कहीं अधिक है। कुछ इलाकों में तो यह मुंबई (Mumbai) से भी ऊंचा है। इसके अलावा, रिपोर्ट में झुग्गियों के पुनर्विकास के लिए पीपीपी मॉडल (PPP Model) पर काम करने की भी सलाह दी गई है ताकि औद्योगिक गतिविधियों को पुनर्जीवित किया जा सके।
डीडीए की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, वर्ष 1967 में डीडीए ने अपनी पहली आवासीय कॉलोनी का निर्माण शुरू किया था। इससे पहले, दिल्ली में आवासीय क्षेत्र, जमीन और सरकारी भवन दिल्ली प्रशासन के अधीन हुआ करते थे। वर्ष 1969 में 27 कॉलोनियों को डीडीए को ट्रांसफर किया गया और फिर 1981 में 99 और सोसाइटियाँ डीडीए को सौंपी गईं।
आज दिल्ली में मौजूद जिन डीडीए कॉलोनियों की उम्र 50 साल से ज्यादा हो चुकी है, उनमें प्रमुख कॉलोनियों के नाम इस प्रकार हैं –
सफदरजंग (Safdarjung), मस्जिद मोठ (Masjid Moth), साकेत (Saket), ईस्ट ऑफ कैलाश (East of Kailash), फ्रेंड्स कॉलोनी (Friends Colony), मुनिरका (Munirka), कालकाजी (Kalkaji), मदनगीर (Madangir), सनलाइट कॉलोनी (Sunlight Colony), कटवारिया सराय (Katwaria Sarai), पीतमपुरा (Pitampura), राजौरी गार्डन (Rajouri Garden), शालीमार बाग (Shalimar Bagh), नारायणा (Narayana), वजीरपुर (Wazirpur), लॉरेंस रोड (Lawrence Road), पश्चिम पुरी (Paschim Puri in Paschim Vihar), जनकपुरी (Janakpuri), शंकर रोड (Shankar Road), विवेक विहार (Vivek Vihar), देशोपुर (Deshpur), नजफगढ़ रोड (Najafgarh Road), प्रसाद नगर (Prasad Nagar), विकास पुरी (Vikas Puri), गोविंद पुरी (Govind Puri), शेख सराय (Sheikh Sarai), रोहतक रोड (Rohtak Road) और यमुना पुरी (Yamuna Puri)।
यदि यह प्रस्ताव मंजूरी पाता है, तो राजधानी की इन प्रमुख कॉलोनियों में बुनियादी ढांचे और नागरिक सुविधाओं का बड़े पैमाने पर नवीनीकरण होगा, जिससे न केवल सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि दिल्ली की शहरी सुंदरता और रहन-सहन की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।