मार्सेलस के को-फाउंडर ने कहा, ऑटोमेशन छीन रहा रोजगार

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नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (The News Air): मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के को-फाउंडर प्रमोद गुब्बी ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भारत की विकास गाथा के लिए सबसे बड़ा जोखिम मैन्युफैक्चरिंग, सविर्स और कृषि सहित सभी सेक्टरों में ऑटोमेशन की तेज बढ़त है जो रोजगार सृजन में बाधा डालती है। दूसरी तिमाही के नतीजों में सुस्ती के बाद, गुब्बी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही के नतीजों पर भी दबाव देखने को मिल सकता है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा विकास कार्यों पर किए जाने वाले खर्च में गिरावट के चलते हाल के वर्षों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले कई सेक्टरों के ऑर्डर बुक और आय में दबाव देखने को मिल सकता है। इसके अलावा उपभोग स्तर में गिरावट से निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में सुधार के शुरुआती संकेतों को खतरे में डाल सकता है।गुब्बी ने कहा कि वर्तमान में केवल प्राइवेट बैंकों के वैल्यूएशन ही निवेश के नजरिए से अच्छे लग रहे हैं।

क्या आपको भारत की विकास गाथा में कोई बड़ा जोखिम नज़र आता है?

इसके जवाब में प्रमोद गुब्बी ने कहा कि भारत की विकास की कहानी में सबसे बड़ा जोखिम उद्योगों में बढ़ता ऑटोमेशन है। मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर और यहां तक ​​कि कृषि में भी ऑटोमेशन बढ़ रहा है। जिसके परिणामस्वरूप रोजगार सृजन में कमी आ रही है। भारत की मूलभूत शक्तियों में से एक उसका डेमोग्रॉफिक डिविडेंड है। यानी लाखों युवा देश के वर्कफोर्स में शामिल होकर आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं। प्रमोद गुब्बी ने कहा कि अगर सरकार रोजगार देने में असमर्थ है रहती है तो उम्मीद के मुताबिक ग्रोथ करना मुश्किल होगा। वास्तव में, इसके लिए जनकल्याणकारी व्यय में बढ़त की भी जरूरत हो सकती है। इसका राजकोषीय स्थिति या विकास के लिए सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बनाने की हमारी क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।

क्या आप भारत की एनर्जी ट्रांजिशन की कहानी को लेकर आशावादी हैं?

इस पर प्रमोद ने कहा कि सौर और पवन ऊर्जा क्षमता में शानदार बढ़त को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। हालांकि कोयला कुछ वर्षों तक भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत बना रहेगा। लेकिन परिवहन के मामले में, हम न तो विद्युतीकरण और न ही ग्रीन हाइड्रोजन को उस गति से आगे बढ़ते हुए देख रहे हैं जिसकी उम्मीद की जा रही थी। लेकिन दिशा निस्संदेह सही है।

क्या आप भारत से FII के बड़े पैमाने पर होने वाले निकास से चिंतित हैं?

नहीं, बिल्कुल नहीं। पिछले तीन सालों में भारतीय बाजारों में FII की तुलना में घरेलू बचत के कारण काफी तेजी आई है। भारत में बचत का फाइनेंशियलाइजेशन एक अच्छा ट्रेंड है और इससे हमारे बाजारों को सपोर्ट मिलेगा। इसके अलावा, अब तक FII की बिकवाली हॉट मनी पॉकेट्स से ही ज्यादा हुई। लंबी अवधि के निवेश के नजरिए से भारत अभी भी विदेशी निवेशकों के लिए शानदार निवेश बाजार बना हुआ है। हालांकि भारतीय बाजार का बहुत महंगा होना विदेशी निवेशकों को दूर कर सकता है । इसलिए अगर यह करेक्शन जारी रहता है और हमारे वैल्युएशन सही स्तरों पर आ जाते हैं तो हम FIIs, खासकर लबें नजरिए से निवेश करने वाले FIIs के फिर से भारत की ओर लौटते दिख सकते हैं।

कौन से सेक्टर निवेश के लिए अच्छे दिख रहे हैं?

प्रमोद का कहना है कि वैल्युएशन के नजरिए से केवल निजी क्षेत्र के बैंक ही निवेश के लिए अच्छे नजर आ रहे हैं। लेकिन ब्रॉडर मार्केट की तुलना में कंपनियों की गुणवत्ता और आय की संभावनाओं को देखते हुए आईटी और हेल्थकेयर भी अच्छे दिख रहे हैं।

 

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