CJI Surya Kant की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एक अहम सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि मंदिर में जमा धन भगवान की संपत्ति है और इसे सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। कोर्ट ने सहकारी बैंकों को फटकार लगाते हुए कहा कि मंदिर के पैसे का इस्तेमाल बैंकों के अस्तित्व को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता।
बैंकों को कोर्ट की दो टूक
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बाक्षी की पीठ ने यह कड़ी टिप्पणी तब की, जब कुछ सहकारी बैंक केरल हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट ने थिरनेली मंदिर देवासम की मैच्योर हो चुकी एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) राशि को दो महीने के भीतर वापस करने का आदेश दिया था।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों के वकीलों से सीधे सवाल पूछे। CJI ने कहा, “क्या आप मंदिर का पैसा सहकारी बैंक को बचाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं?”
‘अच्छे नेशनलाइज्ड बैंक में क्यों न रखें?’
कोर्ट ने आगे सवाल किया कि मंदिर की राशि ऐसे सहकारी बैंक में क्यों रखी जाए जो मुश्किल हालात में हो? उसे एक अच्छे नेशनलाइज्ड बैंक में क्यों न रखा जाए, जहां अधिक ब्याज भी मिलेगा और पैसा भी सुरक्षित रहेगा।
CJI ने जोर देकर कहा कि मंदिर का पैसा देवता का है। इसका इस्तेमाल केवल मंदिर के हित में ही होना चाहिए। यह किसी सहकारी बैंक के लिए इनकम या गुजारे का साधन नहीं बन सकता।
विश्वसनीयता पर उठे सवाल
जब बैंकों की तरफ से पेश वकील मनु कृष्णन ने दलील दी कि केरल हाईकोर्ट ने अचानक दो महीने में राशि लौटाने का आदेश दिया है, जिससे उन्हें कठिनाई हो रही है, तो CJI सूर्यकांत ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “आपको जनता में अपनी विश्वसनीयता बढ़ानी चाहिए। यदि आप अपने ग्राहकों को आकर्षित ही नहीं कर पा रहे हैं तो यह आपकी समस्या है।”
‘मैच्योर होने पर तुरंत लौटानी चाहिए राशि’
सुनवाई के दौरान जस्टिस जॉयमाल्य बाक्षी ने भी बैंकों की कार्यशैली पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जमा राशि मैच्योर होने पर तुरंत लौटाई जानी चाहिए।
इस पर वकील ने दलील दी कि पहले मंदिर प्रबंधन की तरफ से ऐसा अनुरोध नहीं आया था और वे लगातार एफडी का नवीनीकरण (renewal) कर रहे थे। वकील ने कहा कि वे पैसा जमा कराना बंद करने का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन अचानक इतनी बड़ी राशि लौटाने के आदेश से उन्हें मुश्किलें हो रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की
बैंकों के वकील की तमाम दलीलों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता बैंकों को राशि लौटाने के लिए समय बढ़ाने की मांग करने के वास्ते हाईकोर्ट जाने की छूट दी है।
इस फैसले का सीधा असर यह होगा कि मंदिरों का पैसा अब ज्यादा सुरक्षित हाथों में रहेगा और बैंकों को उसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने की छूट नहीं मिलेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि भक्तों द्वारा दान किया गया धन सही उद्देश्य में ही लगे।
जानें पूरा मामला
यह मामला केरल के थिरनेली मंदिर देवासम से जुड़ा है। मंदिर ने मनंतवाड़ी कोऑपरेटिव अर्बन सोसाइटी लिमिटेड और तिरुनेली सर्विस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में एफडी कराई थी। आरोप है कि एफडी मैच्योर होने और बार-बार मांगे जाने के बावजूद बैंकों ने राशि वापस नहीं की। इसके बाद मामला केरल हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने बैंकों को दो महीने के अंदर पैसा लौटाने का आदेश दिया। इसी आदेश के खिलाफ बैंक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां उन्हें निराशा हाथ लगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मंदिर का पैसा भगवान की संपत्ति है।
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मंदिर के धन का उपयोग सहकारी बैंकों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता।
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कोर्ट ने सुझाव दिया कि मंदिर की राशि सुरक्षित नेशनलाइज्ड बैंकों में रखी जानी चाहिए।
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केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली बैंकों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की।






