Religious Conversion Laws : देश में Religious Conversion Laws को लेकर बढ़ती बहस के बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक बेहद अहम याचिका पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है। खास बात यह है कि यह तारीख 13 मई, 2025 की है – वही दिन जब जस्टिस खन्ना अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। भाजपा (BJP) नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) की ओर से दायर इस जनहित याचिका (PIL) में देशभर में लागू धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों को चुनौती दी गई है।
बुधवार, 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पीठ, जिसमें जस्टिस पीवी संजय कुमार (Justice P. V. Sanjay Kumar) भी शामिल थे, ने याचिका को गंभीर मानते हुए विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता जताई। सीजेआई खन्ना ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे 13 मई, 2025 के सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाए। उसी दिन वह अपने कार्यकाल से सेवानिवृत्त हो रहे होंगे, जिससे यह तारीख और अधिक प्रतीकात्मक बन जाती है।
सुनवाई के दौरान अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा कि “हर दिन 10 हजार हिंदुओं का धर्मांतरण हो रहा है” और इसे रोकने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि जबरन या लालच देकर हिंदुओं का धर्म बदलवाया जा रहा है और यह राष्ट्र की एकता और सांस्कृतिक विरासत पर खतरा है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें एकतरफा नहीं सुनीं और साफ कहा कि दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। पीठ ने स्पष्ट किया कि विस्तृत सुनवाई में सभी संबंधित पक्षों को अवसर मिलेगा। इससे पहले भी जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) ने इस मामले में हस्तक्षेप की अनुमति प्राप्त की थी और इन कानूनों को धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन बताते हुए विरोध दर्ज किया था।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने कई राज्यों के धर्मांतरण कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 (Himachal Pradesh Freedom of Religion Act, 2019), मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 (Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020), उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश, 2020 (Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, 2020) और उत्तराखंड का समान कानून (Uttarakhand Freedom of Religion Act) शामिल हैं।
इस महत्वपूर्ण याचिका पर अंतिम सुनवाई की तारीख ऐसे समय में तय की गई है जब धर्म परिवर्तन को लेकर देशभर में बहस जोरों पर है। अब देखना यह होगा कि न्यायपालिका इस संवेदनशील विषय पर क्या ऐतिहासिक निर्णय लेती है।