नई दिल्ली : केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस के खतरे ने दस्तक दे दी है। राज्य के मलप्पुरम के 14 वर्षीय एक लड़के की निपाह वायरस से रविवार को मौत हो गई। पांडिक्कड़ निवासी लड़के को रविवार सुबह 10.50 बजे दिल का दौरा पड़ा और उसे बचाया नहीं जा सका। एनआईवी पुणे की तरफ से निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि की गई थी।राज्य में इस साल निपाह से पहली मौत के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। केंद्र सरकार ने मौत के बाद राज्य सरकार से इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय करने की बात कही है। इसके साथ ही मामले की जांच, महामारी विज्ञान संबंधों की पहचान और तकनीकी सहायता के साथ राज्य की सहायता के लिए एक जॉइंट आउटब्रेक केंद्रीय टीम तैनात की जाएगी।
पिछले साल कोझिकोड में हुई थी मौत
स्थिति का जायजा लेने के लिए विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम राज्य में भेजी जाएगी। इससे राज्य सरकार को संक्रमण से निपटने में भी मदद मिलेगी। केरल में पिछले साल भी निपाह वायरस के संक्रमण से मौत दर्ज की गई थी। निपाह वायरस का प्रकोप कोझिकोड जिले में था। वायनाड के इस पड़ोसी जिले में वायरस से छह लोग संक्रमित हुए थे जिनमें से दो की मौत हो गई। साल 2018, 2021 और 2023 में कोझिकोड जिले में और 2019 में एर्नाकुलम जिले में निपाह संक्रमण फैलने के मामले दर्ज किए गए थे। कोझिकोड, वायनाड, इडुक्की, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों के चमगादड़ों में निपाह वायरस की एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता चला था।
कैसे फैलता है निपाह संक्रमण?
निपाह वायरस मुख्य रूप से फल खाने वाले चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलता है। संक्रमित चमगादड़ों, उनकी लार या दूषित भोजन के संपर्क में आने से वायरस फैल सकता है। मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण भी देखा गया है, खास तौर पर श्वसन बूंदों और शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस संक्रमण जानवरों से लोगों में फैलता है। यह बीमारी दूषित भोजन या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। निपाह वायरस मष्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है। वायरस के इस स्वरूप से संक्रमित लोगों में आमतौर पर मृत्युदर 70 से 90 प्रतिशत तक होती है। इसके अलावा चमगादड़ों को रेबीज, मारबर्ग फिलोवायरस, हेंड्रा और निपाह पैरामाइक्सोवायरस, मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) कोरोना वायरस जैसे विषाणुओं का स्रोत माना जाता है और फ्रूट बैट (एक प्रकार का चमगादड़) को इबोला वायरस का स्रोत माना जाता है।
निपाह संक्रमण के लक्षण
प्रारंभिक लक्षणों में अक्सर बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल होता है। साथ ही संक्रमण के बाद इसकी अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है इसके लक्षण एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), दौरे और भ्रम तक बढ़ सकते हैं। खांसी और गले में खराश जैसी सांस से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। गंभीर मामलों में, वायरस से कोमा और मृत्यु हो सकती है।
कैसे होगा बचाव?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्रूट बैट और सूअरों के साथ संपर्क को कम करने की सिफारिश की है, खासकर प्रकोप वाले क्षेत्रों में। सुनिश्चित करें कि भोजन अच्छी तरह से पकाया गया हो। इसके अलावा कच्चे या आधे पके हुए फलों का सेवन करने से बचें। अच्छी हाइजीन प्रैक्टिस जैसे बार-बार हाथ धोना और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना, वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक हैं।
क्या है इलाज?
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज निपाह वायरस संक्रमण के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार है। हालांकि अभी तक मेडिकल रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। पिछले साल केरल सरकार ने कहा था कि निपाह संक्रमण के खिलाफ एकमात्र उपचार ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ को घातक वायरस से निपटने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा।