चंडीगढ़, 02 जनवरी (The News Air): पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खनौरी और शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन पर कहा कि केंद्र सरकार अपना कठोर रुख छोड़े और किसानों की मांगों के समाधान के लिए उनके साथ सार्थक बातचीत करे।
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में युद्ध मेज पर चर्चा से ही समाप्त होते हैं। किसान इस देश के नागरिक हैं। उनकी मांगें सुनी जानी चाहिए और सम्मानपूर्वक उनके मुद्दों को संबोधित किया जान चाहिए। सीएम मान ने केंद्र सरकार से किसान यूनियनों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने और मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने केंद्र की ‘एग्रीकल्चर मार्केटिंग पॉलिसी’ के मसौदे को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और कहा, “पंजाब में एक मजबूत मंडी प्रणाली है, जो उचित मूल्य निर्धारण और समय पर खरीद सुनिश्चित करती है। केंद्र नई नीतियों की आड़ में इसे खत्म करने की कोशिश कर रही है। हम इस तरह के कदम का समर्थन नहीं कर सकते।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि केंद्र पहले अन्य राज्यों में इस नीति का परीक्षण करे और सफल साबित होने पर ही पंजाब पर विचार करे।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल का जिक्र करते हुए, जो 38 दिन से भूखे धरना दे रहे हैं, पर सीएम मान ने गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हम डल्लेवाल जी के स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनकी स्थिति पर नजर रखने के लिए 50 डॉक्टरों की एक टीम तैनात है और विरोध स्थल के 500 मीटर के भीतर एक अस्थायी अस्पताल स्थापित किया गया है। हमारे प्रयासों के बावजूद केंद्र उदासीन बना हुआ है। अगर डल्लेवाल को कुछ भी हुआ तो भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी।
सीएम मान ने कहा कि किसानों की सभी मांगें सीधे तौर पर केंद्र सरकार से जुड़ी है। 2024 में सत्ता में दोबारा लौटने के बाद से केंद्र ने न तो किसानों के साथ जुड़ने की कोई इच्छा दिखाई है और न ही उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया है। इसके बजाय वे उन्हीं विवादास्पद कृषि कानूनों को एक नए रूप में फिर से पेश करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने केंद्र से इस मामले के सभी हितधारकों को चर्चा के लिए आमंत्रित करने का आह्वान किया और सवाल किया कि भारत का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थता करते हुए एक वैश्विक नेता बनना है। फिर हम अपने ही किसानों के मुद्दों का समाधान क्यों नहीं कर सकते?
मुख्यमंत्री ने किसान यूनियनों से पंजाब बंद जैसे कार्यों से बचने की अपील की और कहा कि इस तरह के फैसलों से पंजाब की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है और जनता को असुविधा पैदा होती है। उन्होंने कहा कि 30 दिसंबर के पंजाब बंद से राज्य को 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि केंद्र को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। इसलिए हम सुनिश्चित करें कि हमारे विरोध प्रदर्शन से हमारे अपने लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे।
मान ने कहा कि जहां हरियाणा सरकार किसानों के खिलाफ आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल कर रही है, वहीं केंद्र उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रहा है। बीजेपी नेताओं के बयानों से स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। उनके प्रवक्ता कह रहे हैं कि इस मसले को बैठकों और बातचीत से सुलझाया जा सकता है लेकिन बीजेपी की सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्हें जल्द से जल्द बातचीत शुरू करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि पंजाब सरकार स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। हम शांति बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि कोई हताहत न हो। हमारे डीजीपी, एडीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी प्रदर्शनकारी किसानों के साथ लगातार संपर्क में हैं।
सीएम मान ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से किसान यूनियनों के साथ बातचीत करने और आपसी समझौते के माध्यम से मुद्दों को हल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसान हमारे देश की रीढ़ हैं। विभाजनकारी नीतियों को आगे बढ़ाने के बजाय केंद्र को उन्हें सशक्त बनाने और उनकी आजीविका की सुरक्षा की दिशा में काम करना चाहिए।