जानकारी के अनुसार, चंद्रयान के थ्रस्टर्स को फायर करने से 5 से 6 घंटे पहले चंद्रयान का रूट बदलने की तैयारी शुरू हो जाएगी। सबकुठ ठीक रहा और चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया, तो मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है।
गौरतलब है कि साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था। उसके फौरन बाद भारत ने तीसरे मून मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। इसरो के वैज्ञानिक बीते कई महीनों से दिन-रात मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 की लैंडिंग में कोई परेशानी ना आए, इस बात का विशेष ध्यान इस बार रखा गया है। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम भी विक्रम रखा गया है।
मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे हर हाल में चांद पर लैंड कराया जा सके। 23 अगस्त को जब लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और कोई परेशानी आई, तो उसे दूसरी जगह भी लैंड कराया जा सकता है। इस मिशन का मसकद सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कराना और वहां चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है। अभी तक तीन देश- अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन लैंड करा पाए हैं।