NDA में शामिल होने के 8 महीने बाद प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ CBI जांच बंद,

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Praful Patel Clean Chit,NDA में शामिल होने के 8 महीने बाद प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ CBI जांच बंद, जानें क्लोजर रिपोर्ट में क्या - cbi closure report in air india case against praful patel clean chit
मुंबई, 29 मार्च (The News Air) : सीबीआई ने एयर इंडिया के लिए विमान पट्टे पर देने में कथित अनियमितताओं के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है, जिसमें पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल सहित अन्य शामिल हैं। पता चला है कि भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिलने के बाद एजेंसी ने 19 मार्च को एक अदालत में रिपोर्ट दायर की। अदालत ने मामले के जांच अधिकारी को सुनवाई की अगली तारीख 15 अप्रैल को तलब किया है। विशेष अदालत यह तय करेगी कि रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या एजेंसी को आगे की जांच करने का निर्देश दिया जाए। पिछले साल, पटेल ने अजीत पवार के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन की योजना बनाई और महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए। अजित गुट में शामिल होने के 8 महीने बाद ही अब प्रफुल्ल पटेल को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी है।

मई 2017 में, सीबीआई ने पटेल के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए दो मामले दर्ज किए थे। आरोप सरकार को नुकसान पहुंचाने से संबंधित थे और मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दायर किया गया था।

दीपक तलवार से प्रफुल्ल की दोस्ती का आरोप

मई 2019 में ईडी ने एक विशेष अदालत को बताया था कि प्रफुल्ल पटेल बिचौलिए दीपक तलवार के प्रिय मित्र हैं। दीपक तलवार कथित तौर पर 2008-09 के दौरान निजी एयरलाइंस को लाभ कमाने वाले एयर इंडिया मार्गों को फैलाने में मदद की थी।

विपक्ष ने लगाया था यह आरोप

पिछले साल जून में प्रफुल्ल पटेल ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ पटना में एक विपक्षी गुट की बैठक में भाग लिया था। कहा जा रहा था कि वह शरद पवार के साथ हैं। हालांकि एक ही महीने बाद वह छह अन्य एनसीपी नेताओं के साथ अजित पवार गुट में आ गए और एनडीए का हिस्सा हो गए। अजित पवार खुद महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री हैं। विपक्ष ने तब आरोप लगाया था कि सीबीआई जांच के चलते प्रफुल्ल पटेल बीजेपी गठबंधन में शामिल हुए हैं।

यह है पूरा मामला

यूपीए शासन काल में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय हुआ। एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद नेशनल एविएशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) का गठन किया गया था। पट्टे पर विमान लिए जाने में कथित अनियमितताओं के आरोप लगे। आरोप हैं कि बड़ी संख्या में विमानों को पट्टे पर लिया गया। इसमें अनियमितताएं हुईं और जिसके कारण राष्ट्रीय विमानन कंपनी को भारी नुकसान हुआ और कुछ लोगों को फायदा हुआ।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि बड़े पैमाने पर विमानों की खरीद और कई उड़ानों, खासकर विदेशी उड़ानों में यात्रियों की संख्या कम होने होने के बाद भी नागर विमानन मंत्रालय तथा नेशनल एविएशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) के अधिकारियों ने विमानों को पट्टे पर लेने के संबंध में फैसला किया। उस समय प्रफुल्ल पटेल नागर विमानन मंत्री थे।

प्रफुल्ल पटेल का था नाम

29 मई 2017 को मामले में दर्ज पहली प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोपी कॉलम में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों का उल्लेख किया और प्राथमिकी में प्रफुल्ल पटेल के नाम का उल्लेख किया। प्रफुल्ल पटेल ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि मामले में सभी निर्णय सामूहिक थे।

111 बोइंग विमानों की खरीद का मामला अभी भी खुला

पहली प्राथमिकी बोइंग से 111 विमानों की खरीद और अमेरिकी और भारतीय बैंकों से ऋण के माध्यम से इसके वित्तपोषण से संबंधित थी, जिसके कारण कंपनी की बैलेंस शीट पर कर्ज हो गया था। दूसरी प्राथमिकी में विमान को पट्टे पर देने में मंत्रालय के अधिकारियों और निजी कंपनियों के बीच साजिश के आरोपों को शामिल किया गया था। एजेंसी ने दूसरे मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि बड़े पैमाने पर विमान अधिग्रहण और कई उड़ानों, विशेष रूप से विदेशी उड़ानों के कारण बहुत कम भार के साथ चलने वाली एयरलाइनों के बावजूद 2006 में पटेल और भारतीय राष्ट्रीय विमानन निगम लिमिटेड (एनएसीआईएल) के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लोक सेवकों ने यह लीजिंग की।

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