Canada Khalistan Relations Mark Carney Tariff : कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी आतंकवादियों को लेकर एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जो खालिस्तानी मुद्दे लंबे समय से भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव पैदा कर रहे थे, अब वही मुद्दे कनाडा की राजनीति में करवट बदल रहे हैं।
जस्टिन ट्रूडो के दौर में खालिस्तानी समूहों को खुला राजनीतिक समर्थन मिलता रहा। ट्रूडो ने तो भारत पर खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भी लगा दिया था, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं कर पाए। इस आरोप के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में बड़ी दरार आ गई थी और दोनों ने एक-दूसरे के डिप्लोमेट्स को देश से निकाल दिया था।
‘वोट बैंक की राजनीति अब खत्म?’
पिछले कई दशकों से कनाडा खालिस्तानी समर्थकों का प्रमुख ठिकाना रहा है, जहां वोट बैंक की राजनीति ने कई दलों को इन संगठनों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
कनाडा के नए प्राइम मिनिस्टर मार्क कार्नी धीरे-धीरे इस वोट बैंक से दूरी बना रहे हैं।
‘PM कार्नी का सांसदों को सख्त निर्देश’
सूत्रों के अनुसार, मार्क कार्नी ने अपनी लिबरल पार्टी के सांसदों को साफ निर्देश दिया है कि वे खालिस्तानी नेताओं या ऐसे किसी समूह से कोई संपर्क न रखें।
इतना ही नहीं, कंजर्वेटिव नेता स्टीफन हारपर ने भी पहले ही कई दलों से इन अलगाववादी संगठनों से दूरी बनाने की अपील की थी।
‘कनाडा की खुफिया एजेंसी की चेतावनी’
कनाडा के खुफिया संगठन सीएसआईएस (CSIS) ने भी चेतावनी दी है कि कई सक्रिय खालिस्तानी समूह धमकी भरे अभियानों और फंडिंग नेटवर्क से जुड़े हैं और यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
‘क्यों आया यह अचानक बदलाव?’
सवाल यह है कि कनाडा में यह अचानक परिवर्तन क्यों देखने को मिल रहा है? दरअसल, इसके पीछे बड़ा हाथ अमेरिका का है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कनाडा पर भारी टैरिफ लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था पर जोरदार चोट की है। पहले डोनाल्ड ट्रंप ने 25% और फिर 10% और बढ़ाकर, कुल 35% टैरिफ कनाडा पर लगा दिया। इसके अलावा ऊर्जा क्षेत्र पर भी 10% टैरिफ लग गया है।
‘भारत जैसे बड़े बाजार की तलाश’
अमेरिका पर निर्भरता अब कनाडा के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। इसी वजह से कनाडा अब नए बाजार ढूंढ रहा है और दुनिया में भारत जैसा बड़ा और उभरता हुआ बाजार शायद ही कोई हो।
‘पटरी पर लौट रहे रिश्ते’
इसी कूटनीतिक पुनर्निर्माण के तहत कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद भारत का दौरा कर चुकी हैं। वहीं, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी जी7 बैठक के लिए कनाडा जा चुके हैं।
दोनों देश बातचीत के जरिए विश्वास को बहाल करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। प्राइम मिनिस्टर कार्नी 2026 में भारत में होने वाले एआई शिखर सम्मेलन को भारत-कनाडा संबंधों को पटरी पर लाने का एक बड़ा अवसर मान रहे हैं।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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कनाडा के नए पीएम मार्क कार्नी ने अपनी पार्टी को खालिस्तानी समूहों से दूर रहने का निर्देश दिया है।
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जस्टिन ट्रूडो के विपरीत, कार्नी खालिस्तानी वोट बैंक से दूरी बना रहे हैं।
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अमेरिका द्वारा लगाए गए 35% टैरिफ से कनाडा की अर्थव्यवस्था हिल गई है, इसलिए वह भारत जैसे नए बाजार की तलाश में है।
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दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की कोशिश जारी है, 2026 के एआई शिखर सम्मेलन पर नजरें टिकी हैं।






