बजट में केंद्र सरकार की दो सबसे बड़ी सहयोगियों ने वित्त मंत्री के सामने बड़ी डिमांड रख दी हैं. जहां टीडीपी ने अगले कुछ वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट में प्रावधान करने को कहा है. वहीं दूसरी ओर बिहार की नीतीश सरकार ने भी कई मांगों के तहत 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की डिमांड की है.
देश की वित्त मंत्री 23 जुलाई को यूनियन बजट पेश करने वाली हैं. उससे पहले ही एनडीए की दो सबसे बड़ी सहयोगी पार्टियों की ओर से बड़ी डिमांड आ गई है. जहां एक ओर आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती और कुछ अहम प्रोजेक्ट्स के लिए एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की डिमांड कर दी है. वहीं दूसरी ओर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी केंद्र सरकार से राज्य के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की डिमांड कर दी है. बिहार सरकार ने पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक प्री-बजट बैठक के दौरान इस डिमांड को सामने रखा था.
पूरे मामले की जानकारी रखने वालों के अनुसार सरकार को बिहार से अनुरोध प्राप्त हुआ है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि इस साल राज्य को कितना बजट आवंटित किया जाएगा? वहीं दूसरी ओर पिछले सप्ताह टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू पहले ही आंध्र प्रदेश राज्य के लिए अगले कुछ वर्षों में 12 अरब डॉलर से ज्यादा की डिमांड कर चुके हैं. खास बात तो ये है कि दोनों गठबंधन दलों की कंबाइंड डिमांड सरकार के 2.2 लाख करोड़ रुपए की वार्षिक खाद्य सब्सिडी बजट के आधे से अधिक के बराबर हैं.
ये भी की डिमांड
वैसे इस साल के बजट में सरकार को कुछ राहत मिल सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह आरबीआई की ओर से दिया गया रिकॉर्ड डिविडेंड और टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी है. इसके अलावा केंद्र सरकार की दोनों सहयोगी पार्टियों की ओर से डिमांड की गई है कि उन्हें उन राज्यों में अधिक उधार लेने की छूट मिले, जहां पर उनकी सरकार है. फिस्कल नियमों के अनुसार राज्य सरकारें अपने एरिया की जीडीपी का सिर्फ 3 फीसदी ही लोन ले सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार ने इस कैप में 1 फीसदी और आंध्र सरकार ने 0.5 फीसदी बढ़ोतरी करने का अनुरोध किया है.
बिहार के लिए जेडीयू की डिमांड
राज्य में 9 हवाई अड्डे, चार नई मेट्रो लाइंस और सात मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए मौजूदा बजट में प्रावधान. 200 अरब रुपए का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए फंडिंग की डिमांड की है. वहीं दूसरी ओर 20,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों की मरम्मत का काम कराने के लिए पैसे मांगे है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बिहार ने स्पेशल स्टेटस देने का अनुरोध किया है, जिससे राज्य को केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने और कर छूट प्राप्त करने में तरजीह मिलेगी. वैसे वित्त मंत्रालय और बिहार सरकार की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
फिस्कल घाटा कम करने के मूड में केंद्र
सरकार 23 जुलाई को मार्च 2025 तक वित्तीय वर्ष के लिए अपना बजट जारी करने वाली है, जिसमें सीतारमण ने संघीय घाटे को जीडीपी के 5.1 फीसदी तक कम करने का वादा किया है. आईएमएफ के अनुसार, केंद्रीय और प्रांतीय बजट को मिलाकर, पिछले वित्तीय वर्ष में घाटा 8.8 फीसदी अनुमानित था. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने पिछले हफ्ते कहा था कि संयुक्त घाटे को जीडीपी के 7 फीसदी से नीचे लाने से रेटिंग अपग्रेड हो सकता है.
जब मिला था 1.25 लाख करोड़ का पैकेज
भारत के राज्यों को उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित टैक्स रेवेन्यू के एक हिस्से से मिलता है. उनकी उधार लेने की क्षमता भी सीमित है. मोदी के पहले कार्यकाल में, बिहार को किसान कल्याण और सड़कों, रेलवे और हवाई अड्डों के अपग्रेडेशन के लिए 1.25 ट्रिलियन रुपए का वित्तीय पैकेज मिला. बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों ही वित्तीय तनाव का सामना कर रहे हैं, जिससे विकास परियोजनाओं पर खर्च करने की उनकी क्षमता कम हो रही है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर बिहार का खर्च राज्य की कमाई का 40 फीसदी से अधिक है. बिहार देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है. जिसकी प्रति व्यक्ति आय 2023 वित्तीय वर्ष में लगभग 59,000 रुपए होने का अनुमान है, जो राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है.






