इलेक्शंस से पहले आने वाले यूनियन बजट (Union Budget 2023) पर फाइनेंशियल मार्केट्स की करीबी नजरें होती हैं। मार्केट्स को बजट में लोकलुभावन उपायों के ऐलान का डर होता है। उन्हें आशंका होती है कि लोगों को खुश करने वाले उपायों पर ज्यादा जोर की वजह से वित्तीय अनुशासन पर सरकार का ध्यान घट सकता है। लेकिन, यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) इस मामले में अलग है। इसमें न सिर्फ सरकार की वित्तीय सेहत का ध्यान रखा गया है बल्कि भविष्य में तेज इकोनॉमिक ग्रोथ के भी उपाय किए गए हैं। इस ‘पंचामृत’ बजट में भले ही बहुत बड़े ऐलान नहीं दिख रहे हों लेकिन इंडिया की ग्रोथ स्टोरी को आगे बढ़ाने में इसका बड़ा योगदान होगा। आइए इस बजट की खास बातों को समझने की कोशिश करते हैं।
1. पूंजी निर्माण पर ज्यादा फोकस
इस बजट में पूंजीगत खर्च के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह GDP का करीब 3.3 फीसदी है। यह फाइनेंशियल ईयर 2019-2020 के मुकाबले तीन गुना है। सरकार ने कोरोना की महामारी के बाद इकोनॉमी को सहारा देने के लिए पूंजीगत खर्च पर अपना फोकस बढ़ाया था। अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए पूंजीगत खर्च में 33 फीसदी की वृद्धि से इंफ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल गुड्स, रेलवे और डिफेंस पर खर्च बढ़ने की उम्मीद है।
2. हाउसिंग सेक्टर में रिकवरी पर जोर
हाउसिंग मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा सेक्टर है। रोजगार के मौके पैदा करने में भी इस सेक्टर का बड़ा हाथ है। यूनियन बजट 2023 में पिछले दो बजटों के मुकाबले एफोर्डेबल हाउसिंग के लिए आवंटन बढ़ाया गया है। इससे हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को फायदा होगा। उन कंपनियों को भी फायदा होगा, जो हाउसिंग सेक्टर में तेजी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हैं।
3. कंजम्प्शन बढ़ाने के उपाय
इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार तेज करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाना जरूरी है। साथ ही डोमेस्टिक कंजम्प्शन की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। खासकर इंडिया जैसी इकोनॉमी में जिसमें घरेलू खपत की हिस्सेदारी दूसरे देशों के मुकाबले ज्यााद है। वित्तमंत्री ने सभी वर्ग के लोगों को टैक्स में राहत देने की कोशिश की है। इनकम टैक्स की नई रीजीम को सेलेक्ट करने वाले लोगों को कम टैक्स चुकाना होगा। इससे उनके हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे।
4. ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा
इकोनॉमिक ग्रोथ और विकास की योजनाओं पर फोकस करना जरूरी है। लेकिन, पर्यावरण से जुड़े मसलों की अनदेखी नहीं की जा सकती। सरकार ने इस मोर्चे पर भी प्रतिबद्धता दिखाई है। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,700 करोड़ रुपये का आवंटन ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ाने में मददगार होगा। कैपिटल एक्सपेंडिचर के कुल आवंटन में से 35,000 करोड़ रुपये एनर्जी ट्रांजिशन पर खर्च होंगे। इससे रिन्यूएबल वैल्यू-चेन से जुड़ी कंपनियों को फायदा होगा।
5. वित्तीय अनुशासन पर नजर
सरकार ने वित्तीय अनुशासन पर फोकस बनाए रखा है। हालांकि, फिस्कल डेफिसिट को लेकर चिंता है। बजट में अलग-अलग सेक्टर के लिए आवंटन बढ़ाने और दुनिया के कई देशों में मंदी का खतरा मंडराने के बावजूद सरकार को रेवेन्यू अच्छी रहने की उम्मीद है। अगले फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट 5.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। फाइनेंस मिनिस्टर ने फानेंशियल ईयर 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने की प्रतिबद्धता जताई है। इन सभी वजहों से यह बजट खास है।
(त्रिदीप भट्टाचार्य एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट में इक्विटीज के सीआईओ हैं।)