Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का अगला यूनियन बजट (Budget 2023) प्रोग्रेसिव रहने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि टैक्स कलेक्शंस की ग्रोथ अच्छी है। फिस्कल डेफिसिट भी कंट्रोल में है। Jama Wealth के डायरेक्टर (स्ट्रेटेजी) मनोज त्रिवेदी ने यह अनुमान जताया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। इस बजट से इंडस्ट्री के हर सेक्टर को बहुत उम्मीदें हैं। यह ऐसे वक्त आ रहा है, जब ग्लोबल इकोनॉमी पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इधर, इंडियन इकोनॉमी की हालत अपेक्षाकृत अच्छी है। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ भी दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा है।
पूंजीगत खर्च पर फोकस बने रहने की उम्मीद
त्रिवेदी ने कहा कि फिस्कल डेफिसिट के इस फाइनेंशियल ईयर के लिए तय टारगेट से ज्यादा रहने की उम्मीद नहीं है। लेकिन, सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन के उपाय शुरू कर सकती है। सरकार का फोकस पहले से ही इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने सहित इकोनॉमी की सेहत ठीक करने पर रहा है। उम्मीद है कि पूंजीगत खर्च पर सरकार का फोकस आगे भी बना रहेगा। खासकर, 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसकी पूरी उम्मीद है। सरकार बजट में टैक्स में कुछ कमी और टैक्स इनसेंटिव का ऐलान कर सकती है। ऐसे कदम सुर्खियों में तो रहते हैं, लेकिन सरकार के खजाने पर उनका ज्यादा असर नहीं पड़ता है।
जरूरी है एसेट एलोकेशन और पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग
उन्होंने कहा कि साल 2022 ने हमें कई चीजें बताई हैं। इनमें से कई तो इकोनॉमिक टेक्स्ट बुक्स में पहले से हैं। अब कई चीजों को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। पहला, लगातार नोट छापने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। इकोनॉमी को संभालने के लिए सप्लाई साइड पर ध्यान देना जरूरी है। आने वाले सालों के लिए निवेशकों को कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। एसेट एलोकेशन मेंटेन करने और समय-समय पर पोर्टफोलियो की रिबैलेंसिंग पर फोकस बनाए रखना होगा।
फूड सिक्योरिटी को गंभीरता से लेने की जरूरत
उन्होंने कहा कि निवेशकों को लंबी अवधि के नजरिए से शेयरों में निवेश जारी रखना चाहिए। शेयर बाजार को गति देने में सबसे ज्यादा हाथ लिक्विडिटी का होगा। इसके अलावा इंटरेस्ट रेट पर भी नजर बनी रहेगी। कोरोना की महामारी अब भी बड़ी प्रॉब्लम पैदा कर सकती है। हालांकि, ग्लोबल इकोनॉमी पर इसका असर 2020 और 2021 जैसा नहीं होगा। जहां तक इंडिया का सवाल है तो आज यह किसी तरह के क्राइसिस को हैंडल करने की बेहतर स्थिति में है। सरकार को फूड सिक्योरिटी को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है। देश में बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त फूड उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के उपाय करने होंगे।