नई दिल्ली, 09 नवंबर (The News Air) आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की सरकार के दौरान दिल्ली में बनाए जा रहे 24 शानदार सरकारी अस्पतालों का काम रोकने को लेकर भाजपा की नियत पर सवाल खड़ा किया है। “आप” के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने सीएम रेखा गुप्ता से स्पष्ट करने की मांग की है कि क्या केजरीवाल सरकार में बनाए जा रहे सरकारी अस्पतालों को भाजपा सरकार निजी हाथों में देने जा रही है? अगर उन्हें निजी हाथों में दिया जाएगा तो इससे आम जनता का क्या फ़ायदा है और उनका मुफ्त इलाज कैसे हो सकेगा? केजरीवाल सरकार में 24 अस्पतालों का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जिनका काम भाजपा सरकार ने रोक दिया है। इसलिए भाजपा के नेता इधर उधर की बात करने के बजाय ये बताएं कि इन अस्पतालों को लेकर भाजपा का क्या स्टैंड है?
रविवार को आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार के दौरान सिर्फ शालीमार बाग में ही नहीं, बल्कि दिल्ली में करीब 24 अस्पतालों का निर्माण शुरू किया गया था। इनमें हजारों बेड वाले सरकारी अस्पताल शामिल थे, जो जनता के लिए तैयार होने वाले थे। लेकिन जैसे ही वीडियो सामने आया कि शालीमार बाग का 1470 बेड वाला अस्पताल लगभग तैयार हो चुका है, दिल्ली की भाजपा सरकार ने उसके लिए कोई काम शुरू नहीं किया। इसके अलावा हमें यह भी सूचना मिली है कि केजरीवाल सरकार के दौरान दिल्ली में जितने भी सरकारी अस्पताल बनाए जा रहे थे, उन्हें सरकार प्राइवेट हाथों में सौंपने वाली है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जो अस्पताल सरकारी थे, अगर उन्हें प्राइवेट कर दिया जाएगा, तो जनता को इसका कोई फायदा नहीं होगा। यह तो सीधे-सीधे प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने वाला कदम होगा। इस मामले पर अभी तक भाजपा ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। भाजपा के प्रवक्ता भी इधर-उधर की बातें करके टालमटोल कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह अस्पताल पोर्टा कैबिन के अंदर है। सौरभ भारद्वाज ने चुनौती दी कि भाजपा के प्रवक्ता आ जाए। हम दोनों साथ चलते हैं और एक साथ निरीक्षण करते हैं। अगर पोर्टा कैबिन के अंदर कुछ बना हुआ होता, तो हम मान लेते। लेकिन यह तो अच्छा-खासा अस्पताल है, जिसमें हजारों बेड हैं। इसे भाजपा सरकार प्राइवेट अस्पतालों को कैसे सौंप सकती है?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं यह बात बिल्कुल मानता हूं कि अस्पतालों को जिस समय पूरा होना था, वह समय पर पूरे नहीं हो सके। लेकिन दिल्ली की “आप” सरकार ने कभी यह नहीं सोचा कि इन्हें हम निजी हाथों में दे देंगे। जब भी ये अस्पताल बनते, आम लोगों के फ्री इलाज के लिए बनते और जनता को इसका फायदा होता। लेकिन अब अगर भाजपा सरकार इन्हें प्राइवेट हाथों में सौंपने का इरादा रखती है, तो यह दिल्ली के लोगों के साथ सीधा-सीधा धोखा होगा।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि करोड़ों रुपये की बहुमूल्य जमीन पर करोड़ों रुपये का खर्चा दिल्ली सरकार करे और फिर भाजपा इन्हें उठाकर प्राइवेट अस्पतालों को सौंप दें। यह तो पूरी तरह गलत है। इसके लिए दिल्ली की भाजपा मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री स्पष्ट करें कि सरकार की इस मामले में क्या योजना है? एक पार्टी प्रवक्ता तो कुछ भी कह सकता है और कल को पलट भी सकता है। मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री स्पष्ट बताएं कि क्या वे इन सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में सौंपने वाले हैं? क्या उनकी कोई ऐसी योजना है?






